स्तन कैंसर महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है। वर्तमान दौर में लड़िकयों की शादी में देरी भी स्तन कैंसर का एक प्रमुख कारण बन रहा है। ऐसे मामलों में पढ़ाई के बाद नौकरी की तलाश से अक्सर शादियां देरी से हो रही हैं। अगर समय पर स्तन कैंसर की पहचान हो जाए तो इसका इलाज मुमकिन है। ये बातें पीजीआई के रेडियोलॉजी विभाग की डॉक्टर अर्चना गुप्ता ने रविवार को ब्रेस्ट इमेजिंग अपडेट पर सतत चिकित्सा शिक्षा और कार्यशाला कहीं।
पीजीआई और मेदांता के सहयोग से यहां के रेडियोलॉजी विभाग में रविवार को हुई कार्यशाला में बीएचयू, जीएसवीएम कानपुर, मेरठ के एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज से प्रशिक्षु रेडियोलॉजिस्ट, डॉक्टर और टेक्नीशियन शामिल हुए। इसमें स्तन कैंसर के इलाज और पहचान की नई तकनीक (एमआरआई, अल्ट्रासाउंड, मेमोग्राफी, डिजिटल ममोसेंथेसिस आदि) पर विशेषज्ञों ने चर्चा की।
इस मौके पर डॉ. अर्चना ने बताया कि यदि दर्द के साथ स्तन का आकार तेजी से बढ़े, तरल द्रव्य निकले और स्तन के अंदर या बाहर कोई गांठ महसूस हो तो महिलाएं सतर्क हो जाएं। यह स्तन कैंसर के लक्षण हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत ही स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलकर जांच और इलाज कराएं।
गांठ या आकार बढ़े तो संकोच नहीं इलाज कराएं
रेडियोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना ने बताया कि विश्व में हर साल करीब 20 लाख महिलाएं पीड़ित होती हैं। वर्ष 2018 में विश्व में स्तन कैंसर से करीब छह लाख 27 हजार महिलाओं की मौत हुई। विकसित देशों और इलाकों में रहने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर की अधिक समस्या होती है। स्तन कैंसर की समय पर पहचान हो जाए तो इलाज मुमकिन है।