प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग से होने वाली बच्ची को बाद में फर्टिलिटी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। एक हालिया स्टडी में यह जानकारी सामने आई है। स्टडी में कहा गया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग करने वाली माताओं से पैदा होने वाली बच्चियां के टेस्टोस्टेरॉन के संपर्क में आने का खतरा बढ़ जाता है, जो भविष्य में उनके हार्मोन और फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है। यह स्टडी यूरोपियन सोसायटी फॉर पीडियाट्रिक एंडोक्रिनोलॉजी की सलाना मीटिंग में प्रस्तुत किया गया था।
स्टडी में कहा गया है कि स्मोकिंग एक एंडोक्राइन डिसरप्टर है जो गर्भ में ही लड़कियों को मर्दाना बना सकता है और प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग करने वाली महिलाओं की बच्चियों में लंबे समय में हार्मोनल और फर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग करना मां और बच्चे दोनों के हेल्थ के लिए बहुत बुरा माना जाता है। हालांकि कुछ महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग करना बंद नहीं करती हैं। सिगरेट के धुएं में मौजूद कई टॉक्सिन्स बच्चों के हेल्थ के लिए खतरनाक होते हैं और इन टॉक्सिन्स से टेस्टोस्टेरॉन का स्तर बढ़ता है।
टेस्टोस्टेरॉन के संपर्क में आने वाली बच्चियों में असामान्य विकास के साथ उनकी फर्टिलिटी और मेटाबॉलिजम पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। यह स्टडी को तुर्की के सिगली स्टेट ट्रेनिंग हॉस्पिटल की डॉक्टर डेनिज ओजाल्प किजिले और उनके सहयोगियों ने किया है। स्टडी के दौरान रिसर्चर्स ने 56 नवजात बच्चियों और 64 बच्चों के एजीडी एनोजेनिटल डिस्टेंस (Genitalia से Anus की दूरी) को मापा। इन बच्चों के माताएं प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग करती रहती हैं। स्मोकिंग करने वाली महिलाओं की बच्चियों के एजीडी नॉर्मल से ज्यादा पाया गया। वहीं लड़कों के एजीडी पर कोई प्रभाव नहीं पाया गया।
डॉ. किजिले ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘गर्भ में सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने के कारण होने वाली संभावित समस्याओं के पीछे के तंत्र को पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता है। हमारे परिणाम बताते हैं कि लड़कियों में हाई टेस्टोस्टेरॉन का जोखिम होता है, लेकिन प्रजनन से इसके संबंध को नहीं बताता है। इसके प्रभाव को और इस रिश्ते को समझाने के लिए सावधानी से डिजाइन किए गए स्टडी की आवश्यकता होती है।’ टीम ने नवजात बच्चियों के एक समूह पर स्मोकिंग के जोखिम और हाई टेस्टोस्टेरॉन लेवल के संपर्क में आने से पड़ने वाले प्रभावों की निगरानी करने का प्लान बनाया है ताकि उनपर होने वाले प्रभाव को समझा जा सके।