रामायण में जब राम-रावण युद्ध में मेघनाथ आदि के भयंकर अस्त्र प्रयोग से समूची राम सेना मरणासन्न हो गई थी, तब हनुमानजी ने जामवंत के कहने पर वैद्यराज सुषेण को बुलाया और फिर सुषेण ने कहा कि आप द्रोणगिरि पर्वत पर जाकर 4 वनस्पतियां लाएं : मृत संजीवनी (मरे हुए को जिलाने वाली), विशाल्यकरणी (तीर निकालने वाली), संधानकरणी (त्वचा को स्वस्थ करने वाली) तथा सवर्ण्यकरणी (त्वचा का रंग बहाल करने वाली)।
हनुमान बेशुमार वनस्पतियों में से इन्हें पहचान नहीं पाए, लक्ष्मण जी के जीवन को बचाने के लिए हनुमान जी पूरा का पूरा पर्वत उठा कर ले आते हैं। पूरा पर्वत उठाने के पीछे कारण यह था कि हनुमान यह नहीं जान पा रहे थे कि आखिर में वो संजीवनी बूटी कौन-सी है, जिससे लक्ष्मण जी की जान बचेगी। भारत की प्राचीन पद्धति, इसकी महत्ता और इस जड़ी बूटी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने के लिए लिख रहे हैं।
आयुर्वेद भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। संस्कृत में आयुर्वेद का मतलब होता है- जिंदगी का विज्ञान। भारत में इस विद्या का जन्म 5000 साल पहले हुआ था। इसे “Mother of All Healing” भी कहा जाता है। इसकी जड़ें प्राचीन वैदिक संस्कृति से हैं। इस विद्या को कई वर्षों पहले गुरुओं द्वारा शिक्षा में अपने शिष्यों को सिखाया जाता था। इसे मौखिक रूप से सिखाया जाता है, जिस कारण इसका लिखित ज्ञान दुर्गम है। पश्चिम में कई प्राकृतिक चिकित्सा प्रणालियों के सिद्धांतों की जड़ें आयुर्वेद में हैं, जिनमें होम्योपैथी और पोलारिटी थेरेपी शामिल हैं।
हनुमान जी जिस पर्वत को उठाकर ले आए थे, वो आज भी चर्चित है। श्रीलंका में इस पर्वत को रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि आज भी इस पर्वत पर संजीवनी बूटी पाई जाती है। इसी के साथ श्री लंका में दक्षिणी समुद्री किनारे पर कई स्थानों पर हनुमान जी द्वारा लाए गए पहाड़ के टुकड़े पड़े हैं। इतना ही नहीं, यह भी कहा जाता है कि जब हनुमान जी पहाड़ उठाकर ले जा रहे थे तो उसका एक टुकड़ा रीतिगाला में गिरा। इसकी खासियत यह है कि यहां आज भी ऐसी जड़ी बूटियां उगती हैं, जो उस इलाके से बहुत अलग हैं। वहीं, श्रीलंका में हाकागाला गार्डन में पहाड़ का दूसरा हिस्सा गिरा। इस जगह के पेड़-पौधे भी उस इलाके की मिट्टी और पेड़-पौधों से बिलकुल अलग हैं।
हिन्दू मान्यता के अनुसार, संजीवी एक चमत्कारी बूटी है। इसमें किसी भी तरह की परेशानी के निवारण की शक्ति है। ऐसा माना गया है कि यह बूटी मृत शरीर में जान डाल सकती है। वैज्ञानिक साहित्य की सूची में कहीं-कहीं संजीवनी का उल्लेख सेलाजिनेला ब्रायोप्टेरिस के रूप में किया गया है। प्राचीन ग्रंथों की खोज में अब तक किसी भी पौधे का खुलासा निश्चित रूप से संजीवनी के रूप में नहीं हुआ है। कुछ ग्रंथों में लिखा है कि संजीवनी अंधेरे में चमकती है।
लंका के वैद्य ने हनुमान जी से कहा था – हिमालय पर कैलाश और ऋषभ पर्वत के बीच एक ऐसा पर्वत है जिसपर जीवन देने वाली बूटियां पाई जाती हैं। यह बूटियां 4 प्रकार की हैं: मृतसंजीवनी, विशल्यकरणी , सुवर्णकर्णी और संधानि। इन सभी जड़ी-बूटियों में से सदैव प्रकाश निकलता है। इन जड़ी-बूटियों के साथ आपको जल्द से जल्द आना है।
सबसे अच्छी बात यह है कि कथा अनुसार यह कहा गया है कि लक्ष्मण के होश में आने के बाद हनुमान जी ने पर्वत को वापस अपनी जगह पर जाकर रख दिया था। यह औषधीय पौधों के संरक्षण का सबसे अच्छा उदाहरण है। संजीवनी बूटी को लेकर विज्ञान में अभी भी अधिक खोज की जा रही है।