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नई दिल्ली।  भारत में कोरोना वायरस वैक्सीन ड्राइव का दूसरा चरण जारी है, जिसमें 60 साल से ज़्यादा की उम्र वाले लोगों के साथ वे लोग भी शामिल हैं, जिनकी उम्र 45 या उससे ज़्यादा है और किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। इस वक्त कोविड वैक्सीन इंजेक्शन के ज़रिए लगाई जा रही है, वहीं दुनिया भर में नेज़ल यानी नाक के ज़रिए भी इस वैक्सीन को देने के विकल्प के बारे में सोचा जा रहा है।

इंजेक्शन या नेज़ल वैक्सीन

पारंपरिक तौर पर वैक्सीन को इंजेक्शन की मदद से त्वचा पर इंजेक्ट कर लगाया जाता है, यानी इसमें सुई का उपयोग होता है। पारंपरिक वैक्सीन से उलट, नेज़ल वैक्सीन म्यूकोसल मेम्ब्रेन में मौजूद वायरस को निशाना बनाता है और इसे हाथों या मुंह के ज़रिए नहीं, बल्कि नाक के ज़रिए दिया जाता है।

कैसे काम करती है नेज़ल वैक्सीन?

आमतौर पर नेज़ल वैक्सीन को नाक में स्प्रे किया जाता है। इसे लगाने के लिए बिना सुई की सीरिंज, एक नेज़ल स्प्रे, तरल दवा या विशेष एरोसोल वितरण के ज़रिए दिया जा सकता है।

वायरस आमतौर पर आपके शरीर में आपकी नाक के माध्यम से प्रवेश करता है, वैक्सीन तब वायरस को स्वीकार करता है और आपके प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरस से लड़ने के लिए आपके रक्त में और आपकी नाक में प्रोटीन बनाने का कारण बनता है। इससे वायरस बढ़ना भी रुक जाता है।

नेज़ल वैक्सीन इंजेक्टेड वैक्सीन से कैसे अलग है?

SARS-COV-2 से जुड़े अधिकांश विषाणुओं, म्यूकोसा के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं और म्यूकोसल मेमब्रेन में मौजूद कोशिकाओं और अणुओं को संक्रमित करते हैं, ऐसे में नाक के द्वारा दी जानी वाली वैक्सीन को एक प्रभावी समाधान माना जा रहा है।

इसके विपरीत, इंट्रामस्क्युलर टीके या इंजेक्शन म्यूकोसा से ऐसी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने में विफल हो जाते हैं और शरीर के अन्य भागों से प्रतिरक्षा पर निर्भर करते हैं। इसके अलावा, नाक के ज़रिए वैक्सीन देना आसान है और साथ ही आसानी से प्रतिरक्षा प्रदान भी करता है। एक प्रभावी नेज़ल वैक्सीन न सिर्फ कोविड​​-19 से रक्षा प्रदान कर सकती है, बल्कि टी-कोशिकाओं के साथ सीधे संपर्क करती है, जो नाक और गले में मौजूद होती हैं और श्लेष्म झिल्ली में मौजूद प्रतिरक्षा कोशिकाओं को लक्षित करती हैं।

भारत बायोटेक के अनुसार, उनकी इंट्रानैसल वैक्सीन उम्मीदवार, जो जल्द ही नैदानिक ​​परीक्षणों के पहले चरण में प्रवेश करने वाला है, अभी तक प्रभावी साबित हुआ है। चूहों पर हुए अध्ययन में नेज़ल वैक्सीन ने उच्च स्तर की सुरक्षा दी थी।

इंजेक्शन से कैसे बेहतर है नेज़ल वैक्सीन?

नेज़ल स्प्रे वैक्सीन न सिर्फ बेहतर इम्यूनिटी देगी, बल्कि इसे लोग खुद लगा सकेंगे। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसके साइड-इफेक्ट्स भी बेहद कम हैं। इसकी कीमत भी कम होगी क्योंकि इसे लगाने के लिए सीरिंज जैसी चीज़ों की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इसे ब्लड वेसल्स तुरंत सोख लेंगी, इसलिए हमारे शरीर के इसे रिजेक्ट करने का आसार भी कम हैं।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।