लखनऊ। कोरोना महामारी को आयुर्वेद से मात देने के दावे का वैज्ञानिक प्रमाण शीघ्र ही ट्रायल के जरिए सामने आएगा। क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया (सीटीआरआइ) ने ट्रायल की अनुमति दे दी है, जो लोकबंधु कोविड अस्पताल में होगा। यहां कोविड के बायोमार्कर आयुर्वेदिक औषधियों से कोरोना ठीक होने का वैज्ञानिक प्रामाण परखा जाएगा। ट्रायल में एक से डेढ़ माह का समय लग सकता है। अगर यह सफल रहा तो देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।
लोकबंधु कोविड-19 अस्पताल में कुछ माह पहले 120 कोरोना मरीजों पर आयुर्वेदिक औषधियों से संक्रमण मुक्त करने का ट्रायल हुआ था, जो 100 फीसद सफल रहा था। बाद में इस शोध को अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित भी किया गया। ट्रायल में मरीजों के तीन ग्रुप बनाए गए थे। इनमें से कुछ मरीजों को सुबह शाम सोंठ का पाउडर व कच्चे लहसुन की डोज डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दी गई। कुछ मरीजों को लोकबंधु अस्पताल में ही तैयार विशेष प्रकार का काढ़ा दिया गया, जिसमें कई अतिरिक्त औषधियां मिलाई गई थीं।
वहीं, कुछ मरीजों को इन दोनों में से कुछ भी नहीं दिया गया। पड़ताल में देखा गया कि जिन मरीजों को सोंठ पाउडर व कच्चा लहसुन की डोज दी गई, उनकी कोरोना रिपोर्ट पांच-छह दिन में निगेटिव आ गई। जिन्हें विशेष प्रकार का काढ़ा दिया गया, वह मरीज भी सात से नौ दिन बाद संक्रमण मुक्त हो गए। जिन्हें कुछ नहीं दिया गया, उनमें संक्रमण बना रहा। इस प्रकार यह सिद्ध हो गया कि आयुर्वेदिक नुस्खों से मरीज कोरोना संक्रमण से मुक्त हो रहे है। हालांंकि, दावे के कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। यही वजह है, नए ट्रायल का फैसला हुआ है।
50 मरीजों पर ट्रायल
लोकबंधु अस्पताल के आयुर्वेद एवं पंचकर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. आदिल रईस ने बताया कि क्लीनिकल ट्रायल के लिए 50 मरीज चुने हैैं। इनके ब्लड मार्कर में आयुर्वेदिक दवाएं शुरू करने से पहले और बाद में उनके साइटोकाइन स्टॉर्म की स्थिति का आकलन करेंगे।
ऐसे सिद्ध होगी वैज्ञानिक प्रमाणिकता
देखा जाएगा कि ब्लड मार्कर आयुर्वेदिक दवाओं के असर से किस प्रकार परिवर्तित हो रहे हैं। साइटोकाइन स्टॉर्म एक तरह से इम्यून सिस्टम हैं, जो रोगों से लड़ते हैं। हां, कोविड के मामले में यह देखा गया है कि साइटोकाइन स्टॉर्म अपने ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं से साइटोकाइन स्टॉर्म की स्थिति को ठीक किया जाता है, ताकि शरीर का इम्यून सिस्टम कोरोना से जंग लड़ सके।
यह जांच होगी जरूरी
प्रक्रिया के दौरान मरीजों के कई रक्त आधारित टेस्ट होंगे। इनमें आइएल-6, डी-डाइमर (रक्त के जमने की स्थिति बताता है), एलडीएच, सीबीसी, सीआरपी, लिवर व किडनी फंक्शन टेस्ट इत्यादि हैं। यदि सभी ब्लड मार्कर दवाओं के असर से संतुलित स्थिति में आते हैं या सकारात्मक परिणाम देते हैं तो आयुर्वेदिक इलाज पर वैज्ञानिक मुहर लग जाएगी।