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रिश्तों की डोर ऐसी डोर होती है, जिसमें बंधकर हम ख़ुद को सुरक्षित अनुभव करते हैं। हर कोई चाहता है कि अपने पार्टनर के साथ उसका रिश्ता खास हो। वो उसे खूब प्यार करें। रिश्ते की बुनियाद रखते समय उद्देश्य यही होता है कि इससे हमारे जीवन में ख़ुशियों के रंग और खिलेंगे। कोई भी रिश्ता इस आशा से नहीं बनाया जाता कि इसमें किसी एक को कमज़ोर रखा जाएगा। लेकिन जब रिश्ते बिगड़ते हैं, तब बेहद तक़लीफ़ देते हैं।

कई बार हम इस बात पर ध्यान ही नहीं दे पाते हैं कि जिस सुख की आशा में हम एक रिश्ते से जुड़े हैं, दरअस्ल, हमारे कष्ट का कारण वही रिश्ता है। कभी-कभी हम ग़लत रिश्तों में फंस कर रह जाते हैं और कई बार तो हमें ज्ञात ही नहीं होता कि हमारे अंदर पनप रही निराशा का कारण अमुक रिश्ता है। ऐसा लगता है कि अपने रिश्ते को बचाने की आपकी हर कोशिश नाकाम-सी क्यों लग रही है। क्या इस रिश्ते में सारी ग़लतियां मैं ही कर रहा या रही हूं।

अगर ऐसे विचारों ने आपकी नींद उड़ा दी हो तो ऐसे में आपका अपने प्रति सबसे पहला कर्तव्य है कि ख़ुद को अहमियत दें और इस तरह के रिश्ते से जल्द से जल्द बाहर निकलने की राह तलाशें। ऐसे में आज हम ऐसे रिलेशनशिप से मुक्ति पाने का तरीक़ा बताने जा रहे है।

अपनी बात ज़रूर कहें…
जब भी आप के साथ ऐसा हो तो रिलेशनशिप को ख़त्म करने से पहले एक आख़िरी कोशिश अपनी बात कहने की करें। मुमक़िन है कि अपनी बात कहने पर आपको अपने पार्टनर के ग़ुस्से का शिकार होना पड़े। इसलिए सबसे अच्छा यह रहेगा कि आप अपनी बात लिख कर पहुंचा दें। आप मैसेज या वॉट्सऐप के द्वारा या ईमेल के ज़रिए अपनी भावनाओं को पहुंचाते समय इस बात का ध्यान रखें कि सीधा दोषारोपण न करें। कुछ यूं लिखें-मुझे अच्छा नहीं लगता जब तुम…, या फिर तुम्हारा ऐसा व्यवहार मुझे दुख पहुंचाता है।

बदलाव की उम्मीद बेक़ार…
रिश्तों में सबसे बड़ी ग़लती जो हम कर बैठते हैं वो है कि हम अपने पार्टनर से आशा करते हैं कि वो बदल जाएगा और अपनी ग़लत हरक़तों को दोहराना छोड़ देगा। यदि आप इस उम्मीद में रिश्ता कायम रखे हुई हैं तो चेत जाइए। अगर किसी इंसान को आप बदल सकती हैं तो वो इंसान हैं आप ख़ुद! हम किसी को ज़बरन नहीं बदल सकते।

आप बेहतर की हक़दार हैं…
जब हम किसी को प्यार करते हैं, और वो प्यार हमारी तरफ़ लौटकर नहीं आता, तब समझ जाना चाहिए कि आप अपना टाइम वेस्ट कर रहे हैं। ऐसे रिश्ते से बाहर आने में ही भलाई है। क्योंकि जब तक हमारे दिल के आईने में किसी ग़लत व्यक्ति की तस्वीर दिखती रहेगी, तब तक किसी दूसरे व्यक्ति का सही अक्स कैसे दिखाई दे सकता है, भला!

अकेले न हो परेशान…

रिश्ता टूटने के बाद ऐसा लगता है माने जिदंगी खत्म हो गई है। लेकिन आपको संभलना होगा क्योंक आपकी ज़िंदगी अभी ख़त्म नहीं हुई है। एक बार फिर अपनी ज़िंदगी पर अपना कंट्रोल बनाएं। ऐसे रिश्ते से निकलना आसान काम नहीं है। ऐसे में न तो मदद लेने से हिचकिचाएं, और न ही आंसुओं पर बांध लगाएं। रोने से आप हल्का महसूस करेंगे। परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के आसपास रहने से आप जल्दी सदमे से उबर पाने में सफल होंगी और पुरानी कड़वी यादों को मन ही मन नहीं दोहराएंगी।