सर्दियों में जैसे-जैसे ठंड बढ़ती जाती है दिल के मरीजों के लिए मुसीबत बढ़ती जाती है। हृदय रोगों से ग्रस्त लोगों को सर्दियों में अपनी सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि इस मौसम में शरीर से पसीना नहीं निकलता और नमक का स्तर बढ़ता जाता है, जिससे ब्लड प्रेशर अपने आप बढ़ जाता है। इस दौरान अगर दिल के रोगी एक्सरसाइज न करें, तो स्थिति और भी बदतर हो जाती है। इसके कारण ब्रेन स्ट्रोक का भी खतरा बढ़ता जाता है। धमनियों में सिकुड़न की वजह से रक्त का थक्का भी जम सकता है। इस मौसम में दिल के मरीजों को तैलीय और चिकनाई युक्त चीजों से परहेज करना चाहिए।
उच्च रक्तचाप के लक्षण शुरूआत में दिखाई नहीं देते हैं और जब दौरा पड़ता है, तब पता चलता है। इसलिए इसे साइलेंट किलर भी माना जाता है। यह दूसरी समस्याओं जैसे सीने में दर्द, दिखने में समस्या, चक्कर आना, सिरदर्द होना, आदि से भी संबंधित है। लेकिन इनके साथ उच्च रक्तचाप का संबंध हो जरूरी नहीं। सामान्यतया लोग हार्ट अटैक, किडनी फेल्योर, हॉर्ट फेल्योर पर ध्यान नहीं देते और धीरे-धीरे यह पैरों की नसों तक पहुंच जाता है।
ठंड में heart arteries सिकुड़ने से body में blood circulation करने में हार्ट को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है! इसकी वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर जब 120 एमएम से ऊपर जाता है, तब व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है। 120 से 140 एमएम तक ज्यादा नुकसानदेह नहीं होता। लेकिन जब यह 159 एमएम या इससे अधिक होता है तब हाइपरटेंशन कहलाता है। यह स्थिति खतरनाक हो सकती है, इसलिए समय पर इसे नियंत्रित करें। खानपान के साथ अपनी दिनचर्या भी बदलें।
शरीर की ऊष्मा (बॉडी हीट) को संरक्षित रखने या बरकरार रखने के प्रयास में हमारी रक्त वाहिनियां सिकुड़ जाती हैं। इसके अलावा सर्दियों में पसीना भी नहींनिकलता। इस कारण शरीर में साल्ट भी संचित हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ब्लड प्रेशर बढ़ता है। ब्लड प्रेशर के बढ़ने पर हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। ऐसी स्थिति में जिन लोगों का ब्लड प्रेशर अच्छी तरह से नियंत्रित रहता है, उनकी स्थिति भी खराब हो जाती है और इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को सांस लेने से संबंधित दिक्कतें भी महसूस हो सकती हैं।
संक्रमणों का दुष्प्रभाव
सर्दियों में वायरल इंफेक्शन और ऊपरी सांस नली में संक्रमण आदि होने का जोखिम कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। दरअसल फेफड़ों और दिल की कार्यप्रणाली एक-दूसरे पर काफी हद तक संबंधित है। इन संक्रमणों के चलते दिल की स्थिति काफी खराब हो सकती है।
खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन
सर्दियों में कई त्योहार और सामाजिक समारोह भी बड़े पैमाने पर होते हैं। विभिन्न समारोहों में लोग उच्च कैलोरी युक्त और ज्यादा नमक युक्त खाद्य पदार्थ लेते हैं। इनका हृदय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
नियमित व्यायाम न करना
ठंड के प्रभाव के चलते लोग बाहर जाकर टहलने और व्यायाम करने के बजाय कंबल या रजाई में रहना ही पसंद करते हैं। इस कारण लोगों का वजन अन्य मौसम की तुलना में ज्यादा ही बढ़ता है।
इन बातों पर दें ध्यान
जो लोग हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों से पहले से ही ग्रस्त हैं, उन्हें सीमित मात्रा में नमक (साल्ट) और पानी ग्रहण करना चाहिए। हृदय रोगियों को ठंड से बचाव करना चाहिए। सर्द हवाओं से बचने के लिये high blood pressure और दिल की बीमारी से पीड़ित लोग थोड़ा एलर्ट रहना चाहिए क्योंकि यह weather उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। डाक्टरों के अनुसार सर्दी में high bp के रोगियों के लिये सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि ठंड की वजह से पसीना नहीं निकलता और body में नमक का स्तर बढ़ जाता है जिससे blood pressure बढ़ जाता है।
वे सुबह की सैर को जारी रखें, लेकिन तड़के टहलने न जाएं। धूप निकलने के बाद ही टहलने जाएं। इसी तरह उन्हें देर शाम भी टहलने नहीं जाना चाहिए। खाली पेट ही व्यायाम करें। नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच करें। वजन न बढ़े, इस बात पर भी नजर रखें। अगर फिर भी ब्लड प्रेशर बढ़ता है, तो डॉक्टर के परामर्श से दवा की डोज को समायोजित करने की जरूरत है।
तब लें डॉक्टर से परामर्श
सीने में संक्रमण, अस्थमा (दमा), ब्रॉन्काइटिस की समस्याएं होने पर शीघ्र ही डॉक्टर से परामर्श लें। कुछ लोगों के लिए सीने में संक्रमण की समस्या गंभीर नहीं होती, लेकिन हृदय रोगियों के लिए यह समस्या काफी गंभीर हो सकती है। खास तौर पर उन लोगों के लिए जिनके हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो चुकी हों। सांस लेने में दिक्कत महसूस होना, पैरों में सूजन होना या तेजी से वजन का बढ़ना आदि लक्षणों के सामने आने पर डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर ही इस बात को सुनिश्चित कर सकता है कि आपके शरीर में समस्या किस प्रकार की है। समस्या के अनुसार ही डॉक्टर आपका इलाज करेगा।