इस Virus के बारे में आये दिन नई-नई जानकारी मेडिकल सायंटिस्ट्स द्वारा दी जा रही है। अमेरिका, इटली और चीन में Corona के कुछ ऐसे मरीज मिले, जिनमें शुरुआती स्तर पर इस बीमारी के लक्षण नजर ही नहीं आ रहे थे। बल्कि उनमें हार्ट अटैक के लक्षण थे।
-शुरुआती जांच और मरीजों में नजर आ रहे लक्षणों के आधार पर यही माना जा रहा था कि कोरोना व्यक्ति के रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट और लंग्स को ही इंफेक्ट करता है। लेकिन जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते चले गए, वैसे-वैसे इसके बारे में नई जानकारियां भी सामने आने लगीं।
-कोरोना, हार्ट से जुड़ी आर्टरीज में सूजन बढ़ा देता है, जिससे हार्ट को पंपिंग करने और ब्लड सप्लाई में दिक्कत होती है। इस कारण सीने में तेज दर्द हो जाता है। कभी-कभी धड़कनों की गति भी प्रभावित होती है।
डॉक्टर्स का अनुभव
-हमारे देश में पॉलिटिकल लीडरशिप इस पेंडेमिक को समय रहते काफी हद तक कंट्रोल करने में सफल रही है। इसलिए अपने यहां कोरोना संक्रमित लोगों के केस शुरुआती स्तर पर उतनी तेजी से नहीं आए, जितनी तेजी से दूसरे देशों में देखने को मिले।
- चीन, इटली और अमेरिका जैसे देशों में जो कोरोना केस सामने आए हैं, उनकी स्टडी के आधार पर यह कहा जा रहा है कि इस वायरस से संक्रमित होनेवाले लोगों में जो गंभीर स्थिति में पहुंचनेवाले पेशंट्स होते हैं, उनमें से करीब 15 प्रतिशत को वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ती है और उनमें से करीब 5 प्रतिशत डेथरेट रहता है।
हार्ट पेशंट्स में बढ़ जाता है रिस्क
हार्ट पेशंट्स को कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए अपना अतिरिक्त ध्यान रखने की जरूरत है। क्योंकि सामान्य लोगों की तुलना में हार्ट पेशंट्स को अगर कोरोना का संक्रमण हो जाता है तो उनकी लाइफ के लिए रिस्क 10 प्रतिशत तक हो जाता है। यानी सामान्य लोगों की तुलना में उनके लिए रिस्क डबल हो जाता है।
इन बीमारियों में बढ़ जाता है जान को खतरा
– कार्डियॉलजिस्ट डॉक्टर सजल गुप्ता का कहना है कि हार्ट पेशंट्स के साथ ही डायबीटीज, हाइपरटेंशन या ब्लड प्रेशर के मरीजों को भी कोरोना के संक्रमण से जान का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
-अगर सामान्य लोगों से तुलना की जाए तो दिल के मरीजों की ही तरह डायबीटीज के पेशंट्स में इस संक्रमण से जान का खतरा 6 प्रतिशत तक बढ़ जाता है और हाई बीपी होने पर यह खतरा 7.3 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
दिल के मरीज ऐसे करें देखभाल
-डॉक्टर सजल का कहना है कि हार्ट पेशंट्स के लिए इस वक्त सबसे जरूरी दो ही चीजें हैं। नंबर एक कि आप लोग घर पर रहें यानी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें। दूसरी बात यह है कि आप टेंशन ना लें।
-जबसे ये संक्रमण हमारे देश में फैलना शुरू हुआ है मेरे पास कई पेशंट्स के फोन आ चुके हैं कि सर खबरों में तो इस वायरस के बारे में जानकर डर लग रहा है। यह नॉर्मल लोगों के लिए इतना हानिकारक है तो हमारा क्या होगा?
- तो मैं हार्ट डिजीज के हर पेशंट से यही कहना चाहता हूं कि घर पर रहिए, फैमिली के साथ समय बिताइए और टेंशन फ्री रहिए। क्योंकि आप लोग अधिक टेंशन लेंगे तो कोरोना से कुछ हो ना हो हार्ट को जरूर समस्या हो सकती है!
-इसलिए सामान्य लोगों के साथ ही सभी हार्ट पेशंट अपना अतिरिक्त ध्यान रखें। लॉकडाउन के नियमों का पालन करें। साथ ही इस वक्त को परिवार के साथ जीने पर ध्यान दें।
-क्योंकि जब आप परिवार के साथ होते हैं तो वर्क प्लेस और सोसायटी के दूसरे तनावों से मुक्त होते हैं। यह स्थिति आपके दिल की सेहत के लिए अच्छी होती है।
ऐसा होना चाहिए हार्ट पेशंट्स का शेड्यूल
-लॉकडाउन है तो इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि आप अपना रेग्युलर शेड्यूल डिस्टर्ब कर लें। अपनी दिनचर्या और सोने-जागने का समय वैसे ही रखें, जैसे पहले था।
-खुद को रिलैक्स रखें और पूरी नींद लें। डायट प्रॉपर लें और दवाइयों को लेकर लापरवाही ना बरतें। क्योंकि अगर आपका सोने-जागने का वक्त बदलता है तो खाने का वक्त भी बदल जाता है, ऐसे में दवाइयों का शेड्यूल भी डिस्टर्ब होता है।
- फिजिकली ऐक्टिव जरूर रहें। घर में वॉक, योग और एक्सर्साइज का रुटीन बना लें। अगर पहले से आपका रुटीन है तो उसी समय पर उसे फॉलो करें। इससे आपकी बॉडी को अपनी बायॉलजिकल क्लॉक सेट रखने में मदद मिलेगी।
फीवर नहीं इन्हें तेज दर्द होता है
-ज्यादातर केसेज में हार्ट पेशंट्स को फीवर नहीं होता। ऐसा बहुत रेयर केस में देखने को मिलता है, जब फीवर के कारण हार्ट पर इफेक्ट पर रहा हो। हां सांस फूलना और सीने में दर्द होना जैसे लक्षण ही शुरुआत में हार्ट डिजीज की तरफ इशारा करते हैं।
-अगर हार्ट पेशंट को कोरोना संक्रमण हो गया है तो इनमें सांस फूलना और हल्की खांसी जैसे लक्षण ही ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में केवल आपके डॉक्टर ही यह बात अच्छी तरह बता सकते हैं कि आपकी परेशानी की वजह हार्ट है या कोरोना।
कंफ्यूज करते हैं ये लक्षण
-कुछ लक्षण ऐसे हैं, जो नॉर्मल पेशंट्स में आते हैं तो सिर्फ इन सिंप्टम्स के आधार पर तय कर पाना मुश्किल होता है कि व्यक्ति को हार्ट अटैक आया है या ये दिक्कतें उसे कोरोना के कारण हो रही हैं।
-इनमें सीने में तेज दर्द होना और सांस लेने में दिक्कत होना शामिल हैं। जो आमतौर पर अभी तक हार्ट अटैक के वक्त दिखनेवाले लक्षण माने जाते थे। लेकिन ये लक्षण अब कोरोना मरीजों में भी देखने को मिल रहे हैं।
लक्षणों में अंतर
– एक तरफ जहां अधिकतर केसेज में सामान्य लोगों को कोरोना संक्रमण के चलते पहले हफ्ते में खांसी होना, तेज बुखार आना और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं होती हैं।
-वहीं, हार्ट पेशेंट्स अगर कोरोना की चपेट में आ जाते हैं तो उनमें ज्यादातर केसेज में सीने में भारीपन महसूस होना, सांस फूलना, सीने में दर्द होना या धड़कने बढ़ जाना जैसे लक्षण नजर आते हैं। जबकि कई बार इन लक्षणों के अचानक नजर आने का कोई तीसरा कारण भी हो सकता है।
कोरोना ऐसे करता है हार्ट पर असर
-सीने में तेज दर्द होना आमतौर पर हार्ट डिजीज का ही लक्षण माना जाता है। जबकि कोरोना के ज्यादातर मरीजों में यह समस्या लक्षण के तौर पर देखने को नहीं मिली। ऐसा चुनिंदा और आमतौर पर बड़ी उम्र के मरीजों में ही देखने को मिल रहा है।
-सीने में हार्ट के पास दर्द की वजह लंग्स का इंफेक्शन भी होता है। इसकी वजह से मसल्स में सूजन आ जाती है, जो ईसीजी में लक्षण नजर आए कि हार्ट अटैक हो गया। लेकिन जब उन्हें एंजियोग्रफी के लिए लेकर गए तो उनकी हार्ट की नलियां नॉर्मल आईं। लेकिन उनके लक्षण हार्ट अटैक के थे। ऐसा उनकी हार्ट मसल्स में स्वेलिंग होने के कारण हुआ।
-हार्ट के ऊपर झिल्लियों में सूजन के कारण हार्ट अटैक की जांच के लिए जो ट्रोपोनिन टेस्ट किया जाता है, कोरोना मरीजों में वह भी पॉजिटिव आया। मसल्स और झिल्लियों की सूजन के कारण कुछ मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है तो कुछ को सीने में भारीपन होता है। जबकि कुछ मरीजों में हार्ट की पंपिंग कम हो जाती है।