जीवन शैली:- मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा सत्य है मृत्यु कहते हैं जो भी इस संसार मे आया है उसे मृत्यु से अवश्य रूबरू होना पड़ेगा। क्योंकि इस प्राकृतिक में कोई भी ऐसी चीज नहीं जो युगों तक जीवित रह सके। वही हिन्दू धर्म मे कहा गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा जीवित रहती है उसकी कभी भी मृत्यु नहीं होती है वह सिर्फ एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर मे प्रवेश करती है। लेकिन जब आत्मा एक शरीर से निकलती है तो यह बेहद जटिल प्रक्रिया होती है और आत्मा को कई पड़ाव से गुजरना पड़ता है। तो आइए जानते हैं जब मृत्यु होती है तो आत्मा को किन किन पड़ाव से गुजरना पड़ता है।
अचेत अवस्था:-
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जब आत्मा मनुष्य के शरीर से निकलती है तो कुछ वक्त के लिए वह अचेत अवस्था मे होती है बिना कुछ बोले बिना कुछ किए शान्त रहती है और कुछ समय के बाद पुनः कार्य करने लगती है। वही जब आत्मा मुनष्य के शरीर से बाहर निकलती है तो वह एकदम शांत होती है और ठीक उसी प्रकार शरीर से बाहर निकल जाती है जैसे एक ठीक मनुष्य के शरीर मे रहती है।
छटपटाहट:-
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धार्मिक ग्रंथों को मुताबिक जब आत्मा मनुष्य के शरीर से बाहर निकल जाती है तो वह अभौतिक अवस्था मे होती है। वह अपने सगे संबंधियों को देखकर खूब छटपटाती है और उनसे बात करने के लिए बिलखती है लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाती है और अपने सगे संबंधियों को बिलखता देख खुब तड़पती है।
नही होता संचार:-
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आत्मा जब शरीर से बाहर निकलती है तो वह मौन अवस्था मे होती है और उसका किसी के साथ संचार नहीं होता है। वह अपने मृत शरीर के पास बैठे अपने सगे संबंधियों से बात करना चाहती है उनसे बहुत कुछ कहना चाहती है लेकिन वह कुछ नहीं कह पाती है और अंदर ही अंदर घुटती रहती है।
शरीर में लौटने का प्रयास:-
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मृत्यु के बाद आत्मा अपने शरीर मे पुनः प्रवेश करने का हर सम्भव प्रयास करती है। वह चाहती है कि वह अपने शरीर मे पुनः प्रवेश कर अपने परिजनों का दुख दर्द कम कर दे। लेकिन कई बार प्रयास के बाद भी जब आत्मा शरीर मे प्रवेश नहीं कर पाती तो उसका मोह खत्म होने लगता है और वह यह स्वीकार कर लेती है कि अब वह अपनो से दूर हो चुकी है और उसे उसके अपने सगे संबंधियों के मोह को त्यागना चाहिए।
दुख से रूबरू:-
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जब व्यक्ति के शरीर से आत्मा निकलती है तो वह अपनो को देखकर बिलखती है दुखी होती है। जब उसका वश नहीं चलता तो वह अपने कर्मो को याद करती है और फिर आत्मा को लेने के लिए यम दूत आता है और उनके कर्मों के आधार पर उन्हें यम लोक तक का मार्ग तय करना होता है।