अल्जाइमर एक मानसिक बीमारी है, जो धीरे-धीरे पनपती है। इसकी शुरूआत ब्रेन के स्मरणशक्ति को नियंत्रित करने वाले पार्ट से होती है और फिर धीरे-धीरे यह ब्रेन के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाती है। यह एक तरह की भूलने की बीमारी है। हर किसी की इसके बारे में अपनी एक सोच है, लेकिन इससे जुड़े मिथक क्या हैं और सच क्या, बता रहे हैं डॉ. राजीव आनंद।
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अल्जाइमर का जोखिम अधिक
एक स्टडी के मुताबिक, 45 से 65 की उम्र के बीच की महिलाओं में अल्जाइमर रोग का जोखिम अधिक रहता है। अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘गैरियाटिक साइक्रेट्री’ में प्रकाशित शोध के मुताबिक, स्ट्रेस हॉर्मोन ब्रेन हेल्थ में लैगिंक आधार पर अलग-अलग भूमिका निभाते हैं और महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अल्जाइमर रोग अधिक होने का कारण भी यही है।
मिथक 1 : अल्जाइमर बुजुर्गों की बीमारी है
हकीकत : ज्यादातर लोग सोचते हैं कि अल्जाइमर रोग केवल बुजुर्ग लोगों को होता है। लेकिन युवा भी अल्जाइमर से पीड़ित हो सकते हैं। रिसर्च के अनुसार, 30, 40 और 50 की उम्र के 5 फीसदी लोगों में यह बीमारी पाई गई है। शुरुआत में अल्जाइमर आनुवांशिक हो सकता है। लेकिन जिन लोगों में आनुवांशिक नहीं है, उनमें इस बीमारी के होने की खास वजह उनकी खराब लाइफस्टाइल है।
मिथक 2 : उम्र बढ़ने के साथ अल्जाइमर होना सामान्य बात है
हकीकत : यह सच नहीं है। याददाश्त खोना उम्र बढ़ने का सामान्य हिस्सा है लेकिन अगर हमें रुटीन लाइफ में बिहेवियर चेंज, बोलने में दिक्कत, कन्फ्यूजन रहना और चीजों को रखकर भूल जाना जैसी दिक्कतें आ रही हैं, तो ये सामान्य उम्र बढ़ने का हिस्सा नहीं है। कार की चाबी जैसी चीजों को भूल जाना सामान्य हो सकता है, लेकिन यह भूल जाना कि कार कैसे चलाना है, गंभीर समस्या है।
मिथक 3 : अल्जाइमर की वजह से डेथ नहीं होती
हकीकत : यह मिथक पूरी तरह से गलत है। अल्जाइमर मौत का कारण बन सकता है और यूएस में डेथ होने की यह छठी मुख्य वजह है। हाल ही के एक अनुमान के अनुसार, वृद्ध लोगों के लिए हार्ट और कैंसर के बाद डेथ होने की एक बड़ी वजह अल्जाइमर भी है। दरअसल, अल्जाइमर से पीड़ित है खाना, पानी और दूध पीना भूल सकता है, जिससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। ऐसी समस्याएं जब घातक रूप ले लेती हैं, तो डेथ होने की वजह बन सकती हैं।
मिथक 4 : ट्रीटमेंट उपलब्ध है, जो बीमारी को बिगड़ने से रोक सकता है
हकीकत : सच्चाई यह है कि अल्जाइमर रोग से लड़ने का कोई इलाज नहीं है। इलाज तो संभव है, वह सोच, याददाश्त, बोलने और बिहेवियर वगैरह में मदद कर सकता है। लेकिन दवाई लेना इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। हां, यह आपको तत्काल राहत दे सकता है, लेकिन ट्रीटमेंट नहीं।
मिथक 5: अल्जाइमर हेल्दी व्यक्ति को भी हो सकता है
हकीकत : अल्जाइमर रोग होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन हाई ब्लड प्रेशर, डायबीटीज होना और लाइफस्टाइल खराब होना भी इसकी एक बड़ी वजह है। किसी दुर्घटना के दौरान सिर में चोट लगने से भी भूलने का रोग हो जाता है। अल्ज़ाइमर रोग वाले अधिकांश लोगों की कोई फैमिली हिस्ट्री नहीं होती, लेकिन अगर आपके परिवार का कोई सदस्य हेड इंजरी या स्लीप ऐप्निया से पीड़ित है, तो यह रोग विकसित होने के चांस बढ़ जाते हैं।