भारत में अंगदान एक महत्वपूर्ण विषय है, जो लाखों लोगों के जीवन को बचा सकता है। हालाँकि, अंगदान की संख्या अभी भी अपेक्षाकृत कम है, जिसका मुख्य कारण लोगों में जागरूकता का अभाव और अंगदान को लेकर सामाजिक भ्रांतियां हैं। भारत में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें सरकार की तरफ से कई योजनाएं और पहलें भी शामिल हैं।
अंगदान और ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया को सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने किया कड़ा कदम
केंद्र सरकार ने देश में अंगदान और ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया को और बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने राज्यों और संस्थानों को चेतावनी दी है कि जो संस्थान ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के पदों को स्थायी नहीं बनाते हैं, उन्हें वित्तीय वर्ष 2024-25 के बाद कोई भी सहायता नहीं मिलेगी।
ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के पदों का महत्व
ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वे अंगदान के पूरे प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं। उनके काम में मस्तिष्क मृत्यु की पहचान और प्रमाणन, परिवार को दान के लिए प्रोत्साहित करना, सहमति लेना, दाता और प्राप्तकर्ता अस्पताल के बीच समन्वय, दाता और प्राप्तकर्ता मिलान, लॉजिस्टिक्स प्रबंधन, अंग प्राप्ति से संबंधित सभी पहलुओं का सुचारू संचालन सुनिश्चित करना, पैकिंग आदि, और दाता के परिवार को समर्थन प्रदान करना शामिल है।
ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर पद स्थापित करने की अनिवार्यता
भारत में ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स एंड टिश्यूज़ एक्ट (THOTA), 1994, के तहत ट्रांसप्लांट प्रक्रियाओं को करने वाले हर अस्पताल में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति अनिवार्य है। अस्पताल के ट्रांसप्लांट पंजीकरण के लिए यह एक ज़रूरी शर्त है। सरकार ने वर्ष 2020-21 से 2025-26 तक ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय अंग ट्रांसप्लांट कार्यक्रम (NOTP) के तहत राज्य सरकारों और चिकित्सा महाविद्यालयों को वित्तीय सहायता प्रदान की थी। पांच वर्ष की समयावधि के दौरान यह उम्मीद की गई थी कि राज्य सरकारें और चिकित्सा महाविद्यालय ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के लिए स्थायी पद निर्मित करेंगे। लेकिन, ऐसा होता नज़र नहीं आया।
सरकार द्वारा नई दिशा-निर्देश
केंद्र सरकार ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि राज्यों और संस्थानों को वित्तीय वर्ष 2024-25 तक स्थायी ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के पद निर्मित करने होंगे। यह पद काम के बोझ के अनुसार होना चाहिए। जो संस्थान इस नियम का पालन नहीं करेंगे, उनको ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति के लिए किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी।
अंगदान की बढ़ती माँग
भारत में अंगदान की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। देश में अंगों की कमी एक गंभीर समस्या है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 1995 से 2021 तक मृतक और जीवित दाताओं से कुल 36,640 अंगदान में से 29,695 पुरुष रोगियों पर और 6,945 महिला रोगियों पर किए गए। वर्ष 2023 में देश में 18,378 अंग ट्रांसप्लांट किए गए।
अंगदान बढ़ाने के लिए जागरूकता का महत्व
अंगदान के लिए जनता में जागरूकता बढ़ाने की ज़रूरत है। लोगों को अंगदान के महत्व के बारे में जानकारी देने के लिए प्रचार अभियान चलाए जाने चाहिए। धार्मिक और सामाजिक नेताओं की भी भूमिका महत्वपूर्ण है, वे लोगों को अंगदान के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
भारत में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहल
भारत में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई पहलें की हैं:
- राष्ट्रीय अंगदान कार्यक्रम (NOTP): यह कार्यक्रम अंगदान को बढ़ावा देने, अंग ट्रांसप्लांटेशन प्रक्रियाओं में सुधार और ट्रांसप्लांट के लिए आवश्यक संसाधनों और अवसंरचना के विकास के लिए बनाया गया है।
- ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति: NOTP के तहत सरकार द्वारा राज्य सरकारों और चिकित्सा महाविद्यालयों को ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति के लिए वित्तीय सहायता दी गई थी।
- जागरूकता अभियान: सरकार द्वारा जनता में अंगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई अभियान चलाए गए हैं।
- अंगदान बैंक: सरकार अंगदान बैंकों को बढ़ावा दे रही है। अंगदान बैंक अंगों का संग्रह और भंडारण करते हैं, जिन्हें ज़रूरतमंद रोगियों को ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
Take Away Points
- अंगदान एक महत्वपूर्ण सामाजिक कार्य है, जिसके माध्यम से हज़ारों लोगों की ज़िंदगी बचाई जा सकती है।
- ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर की महत्वपूर्ण भूमिका है, वे अंगदान के पूरे प्रक्रिया को संचालित करते हैं।
- सरकार अंगदान को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास कर रही है, लेकिन जनता की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। लोगों को अंगदान के बारे में जागरूक होने की ज़रूरत है।