भारत में मानव विकास: चुनौतियां और अवसर
मानव विकास के संदर्भ में, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा जारी मानव विकास रिपोर्ट (HDR) एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो दुनिया भर के देशों की मानव विकास की स्थिति का आंकलन करता है। भारत, एक विकासशील राष्ट्र के तौर पर, HDR 2023-24 में “मध्यम मानव विकास श्रेणी” में 0.644 की मानव विकास सूचकांक (HDI) के साथ 193 देशों में 134वें स्थान पर है। हालाँकि, HDI में यह सुधार आशाजनक लगता है, लेकिन इसे केवल अस्थायी सफलता के रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि यह सुधार कई कारणों से प्रभावी होने से रुकता है। यह लेख भारत में मानव विकास के संदर्भ में, विभिन्न पहलुओं की विस्तृत रूप से जाँच करके कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों और अवसरों का पता लगाता है।
भारत के मानव विकास में सुधार और चिंताएँ
HDI में वृद्धि:
वर्ष 1990 से, भारत का HDI मूल्य 0.434 से बढ़कर 2022 में 0.644 हो गया है, जो कि 48.4% की वृद्धि दर्शाता है। यह वृद्धि स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आय के मामले में प्रगति को इंगित करता है।
धीमी गति:
हालाँकि, HDI में यह सुधार उल्लेखनीय है, लेकिन यह हमारे आस-पास के कई देशों, जैसे बांग्लादेश और भूटान, से पीछे है, जिनके HDI क्रमशः 12 और 10 रैंकों से सुधरे हैं। चीन में तो यह 18 रैंकों तक का सुधार देखा गया है। यह स्पष्ट करता है कि भारत को अपनी मानव विकास गतिविधियों को और तेजी से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
COVID-19 का प्रभाव:
वर्ष 2015-2022 की अवधि में भारत की मानव विकास में प्रगति धीमी रही, इसके लिए COVID-19 महामारी को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जा सकता है। महामारी के कारण शिक्षा और आय पर गहरा असर पड़ा जिससे विकास बाधित हुआ।
लिंग असमानता की चुनौती
लैंगिक विकास सूचकांक:
HDR 2023-24 में लिंग विकास सूचकांक (GDI) भी शामिल है जो देशों के बीच लिंग-आधारित असमानताओं का विश्लेषण करता है। इसमें पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग अनुमानित HDI मान शामिल हैं। 42 “मध्यम मानव विकास देशों” में भारत उन 7 देशों में शामिल है, जहां पुरुषों और महिलाओं के बीच HDI उपलब्धि में अंतर सबसे ज़्यादा है।
श्रमशक्ति भागीदारी दर:
भारत में महिलाओं और पुरुषों के बीच श्रमशक्ति भागीदारी दर में 47.8 प्रतिशत अंक का अंतर है (महिलाओं के लिए 28.3% और पुरुषों के लिए 76.1%)। चीन (53.6%), भूटान (53.5%), और बांग्लादेश (39.2%) जैसी कई देशों की तुलना में भारत में महिला श्रमशक्ति भागीदारी दर काफी कम है।
ग्रामीण-शहरी अंतर:
पर्याप्त श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) 2022-23 से पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर में वृद्धि ज्यादा है। यह स्थिति नीतिगत पहलुओं की जाँच और गहन अध्ययन की आवश्यकता को इंगित करता है।
आय असमानता: बढ़ता मुद्दा
समृद्धि का असमान वितरण:
भारत उन देशों में शामिल है जहां सबसे धनी 1% लोगों के पास आय का बहुत बड़ा हिस्सा (21.7%) है, जो बांग्लादेश (11.6%), चीन (15.7%), भूटान (18.1%), और नेपाल (9.7%) से बहुत अधिक है।
दुनिया और क्षेत्रीय स्तर:
भारत में आय असमानता विश्व औसत (17.5%) और दक्षिण एशिया के औसत (19.6%) से भी अधिक है। ईस्ट एशिया और प्रशांत क्षेत्र (16.5%) और यूरोप और मध्य एशिया (15.7%) जैसे अन्य क्षेत्रीय समूहों से भी यह असमानता अधिक है।
सतत विकास के लिए चुनौतियाँ और अवसर
भारत को SDG को प्राप्त करने के लिए, लैंगिक विकास मुद्दों और बढ़ती असमानता का समाधान करने के लिए काम करना होगा। सतत विकास को प्राप्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित हैं:
1. लिंग असमानता का उन्मूलन: महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसर बढ़ाने की ज़रूरत है। इसके लिए प्रारंभिक शिक्षा और उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, लिंग-संबंधी रूढ़ियों को तोड़ना, महिलाओं के लिए उद्यमशीलता विकास कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना और लचीला काम करने का समय (workplace flexibility) प्रदान करना जैसे कदम उठाने की आवश्यकता है।
2. आय असमानता का समाधान: सरकार को सार्वजनिक शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों पर निवेश को बढ़ावा देने की जरूरत है। इससे गरीबी का स्तर घटेगा और समाज में समानता बढ़ेगी। गरीब और कमजोर वर्गों तक विकास के लाभ पहुंचाने और रोजगार सृजन के अवसरों में वृद्धि की आवश्यकता है।
3. सतत विकास को आगे बढ़ाना: ऊर्जा दक्षता बढ़ाना, पर्यावरण की रक्षा करना और स्वच्छ ऊर्जा संसाधनों का उपयोग करने पर जोर देना भी महत्वपूर्ण है।
4. मानव संसाधन विकास पर जोर: उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करके कार्यबल को तैयार करना भी आवश्यक है।
5. समावेशी विकास: सामाजिक रूप से बहिष्कृत, पिछड़े, आदिवासी, और विकलांग लोगों को मानव विकास में समाहित करना, विकास में न्याय और समता का महत्व है।
Takeaway Points:
- भारत ने मानव विकास के क्षेत्र में प्रगति की है लेकिन अपने आस-पास के देशों से पीछे है।
- लिंग असमानता और बढ़ती आय असमानता एक चुनौती है।
- SDG को प्राप्त करने के लिए इन चुनौतियों को दूर करने की जरूरत है।
- समावेशी विकास, लिंग समानता और आय असमानता को कम करने पर जोर देना ज़रूरी है।