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लंबे समय से ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए हॉर्मोन थेरपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन मामलों में कई बार कैंसर ठीक होने के बाद फिर आ जाता है। अब एक रिसर्च में पता चला है कि हॉर्मोन थेरपी से कुछ कैंसर सेल्स स्लीप मोड में चले जाते हैं जो बाद में फिर ऐक्टिव हो सकते हैं।

इस रिसर्च के बाद अब ऐसे रास्ते खोजे जा सकेंगे जिनसे इन सेल्स को लंबे समय तक स्लीप मोड में रखा जा सके या फिर ऐक्टिव करके इलाज के दौरान उन्हें मार दिया जाए।

इस रिसर्च में लैबोरेटरी में ब्रेस्ट कैंसर सेल्स पर हॉर्मोन के प्रभाव को देखा गया। लीड रिसर्चर लुसा मगनानी ने कहा कि इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है क्योंकि ब्रेस्ट कैंसर के ज्यादातर मामलों में हॉर्मोन थेरपी से ही इलाज किया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर इन डॉर्मेंट सेल्स के बारे में अच्छे से पता लगा सकें तो कैंसर को वापस आने से रोका जा सकता है।

इसके लिए या तो उन्हें और भी लंबे समय तक के लिए स्लीप स्टेज में ही रखा जा सकता है या फिर उन्हें ऐक्टिव करके खत्म किया जा सकता है। ब्रेस्ट कैंसर के ज्यादातर मामलों ट्यूमर को निकाल दिया जाता है। इसके बाद उन्हें हॉर्मोन थेरपी दी जाती है। हालांकि, कई मरीजों को दोबारा कैंसर हो जाता है।

कई मामलों में तो 20 साल बाद भी कैंसर फिर से हो जाता है। कैंसर का इतने लंबे समय बाद वापस आना और भी खतरनाक होता है क्योंकि तब तक यह शरीर के अन्य हिस्सों में फैल चुका होता है और दवाओं के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है।