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ब्रिटेन में सहायक मृत्यु को वैध बनाने का प्रयास लगातार जारी है। 2024 में अक्टूबर के मध्य में, हाउस ऑफ़ कॉमन्स में इस मामले को फिर से उठाया गया और इसमें ऐसा प्रस्ताव रखा गया जिसमें चिकित्सकों को टर्मिनल रोगी की मृत्यु में सहायता देने की अनुमति दी जाए। यह प्रस्ताव लेबर सांसद किम लीडबीटर द्वारा लाया गया, जिसमें उन्होंने कहा कि इसे ब्रिटेन के स्वास्थ्य सेवा का एक हिस्सा बनाने की जरूरत है। यद्यपि इस मामले को लेकर अभी भी बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं, इस प्रस्ताव के कई पहलू हैं जिनके बारे में जाना ज़रूरी है:

सहायक मृत्यु का ब्रिटेन में वर्तमान कानूनी ढांचा

ब्रिटेन में वर्तमान में, सहायक मृत्यु अवैध है और इसकी वजह से टर्मिनल रोगी, अपनी मृत्यु को चुनने में असमर्थ हैं। इसके चलते कुछ लोगों को मृत्यु के अधिकार की वकालत करते देखा जा रहा है, जो कि “लाइफ़ ऑफ़ डेथ” नाम के एक संगठन के पीछे प्रेरणा शक्ति है, जिसने कानून बदलने के लिए पिछले दशक में अनेक कोशिशें की हैं। कानूनी तौर पर, अगर किसी चिकित्सक द्वारा दी गई किसी दवा से किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उस डॉक्टर पर हत्या का आरोप लग सकता है। ऐसी ही घटनाएँ पहले भी देखी जा चुकी हैं जिसमें गैरकानूनी सहायता देने का मामला सामने आया है।

प्रस्तावित कानून के मुताबिक़ सहायक मृत्यु कैसे काम करेगी

हालांकि अभी तक प्रस्तावित कानून का विवरण सामने नहीं आया है, परन्तु समझा जाता है कि ये हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में पिछले साल लाए गए कानून से काफी हद तक मिलता-जुलता होगा। इस प्रस्तावित कानून के अनुसार:

  • सहायक मृत्यु का लाभ केवल उन व्यक्तियों को दिया जाएगा जो टर्मिनल रूप से बीमार हैं और जिनके जीने के 6 महीने से कम समय बचा है।
  • व्यक्ति को 2 डॉक्टरों का हस्ताक्षर किया हुआ एक बयान पेश करना होगा जो उसकी मौत के संबंध में उनकी राय को पुष्टि दे।
  • मामला उच्च न्यायालय को भेजना होगा और उनकी स्वीकृति प्राप्त करना ज़रूरी होगा।

सहायक मृत्यु के विरुद्ध दलीलें

इस कानून के विरोधी यह मानते हैं कि इस तरह का कानून असहाय लोगों पर दबाव डाल सकता है और लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर सकता है कि अगर उन्हें दर्द सहने में कोई दिक्कत हो तो वे मौत का सहारा ले सकते हैं।

  • कई लोगों का मानना है कि इससे लोगों की ज़िंदगी में बहुत अधिक दबाव और चिंता पैदा हो सकती है।
  • इसके साथ ही कुछ मानते हैं कि सहायक मृत्यु के कानूनी बनाए जाने से ईसाई धर्म और दूसरे धार्मिक समूहों के लोगों की मान्यताओं का उल्लंघन होगा, जिनके अनुसार इंसान खुद मृत्यु का निर्णय लेने के लिए योग्य नहीं है।
  • इसके साथ ही, वे यह भी चिंता व्यक्त करते हैं कि ऐसा कानून, गरीब, कमज़ोर और हाशिए के लोगों के जीवन के लिए ख़तरा बन सकता है क्योंकि उनका ज़्यादा शोषण हो सकता है।

सहायक मृत्यु के पक्ष में दलीलें

सहायक मृत्यु के पक्ष में कई तर्क दिए जाते हैं, इनमें शामिल है:

  • मरने का अधिकार: लोगों को मौत का अधिकार होना चाहिए। जिन लोगों का जीवन का अंतिम चरण बेहद दर्दनाक हो, उनको अपनी मृत्यु को नियंत्रित करने में सहायता मिलनी चाहिए।
  • पीड़ित लोगों पर निर्भरता को कम करना: जिन लोगों को किसी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ता है, वे अपने प्यारों पर बोझ नहीं बनना चाहते और अपनी मौत को एक भावपूर्ण ढंग से ख़त्म करना चाहते हैं।
  • न्याय की बहाली: सहायक मृत्यु को वैध बनाना न्यायसंगत है क्योंकि यह देशों और समाजों को अन्य आधुनिक देशों के कानूनों के अनुरूप बनाता है, जहाँ ये कानून काफी समय से मौजूद है और इन्हें अच्छी तरह से लागू किया जा रहा है।
  • अधिकारों का उल्लंघन: ब्रिटेन में मौजूद वर्तमान क़ानून इंसानी अधिकारों का उल्लंघन है और लोगों को जिंदगी या मौत का निर्णय लेने का अधिकार मिलना चाहिए।

इस कानून से संबंधित कुछ अहम प्रश्न

ब्रिटेन में सहायक मृत्यु को लेकर बहुत सारे सवाल है जिसका जवाब देना ज़रूरी है:

  • क्या यह कानून उन लोगों पर दबाव डालेगा जिनके पास इसे लेने का अधिकार है, यहाँ तक कि वे इसे नहीं चाहते हों?
  • इस कानून में कितने सुरक्षा उपाय होने चाहिए ताकि यह यकीन की जा सके कि इसका दुरुपयोग नहीं होगा?
  • क्या इस कानून को और ज़्यादा बदलावों की ज़रूरत होगी ताकि यह समाज में किसी भी लैंगिक, जातीय, सामाजिक और आर्थिक पार्श्वभूमि के लोगों के लिए एकसमान तौर पर काम कर सके?

नतीजे

यह काम करना ज़रूरी है कि ब्रिटेन में सहायक मृत्यु की आवश्यकता को सामान्य लोगों द्वारा समझा जाए और इस विषय पर ज्यादा चर्चा हो। यह कानून आवश्यक रक्षा और सुरक्षा उपायों के साथ लागू किया जाना चाहिए ताकि यह सुरक्षित और न्यायपूर्ण हो। इन सवालों के जवाब खोज लेने के बाद ही यह निर्णय लिया जा सकता है कि सहायक मृत्यु ब्रिटेन में कानूनी रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए या नहीं।