रिलेशनशिप– हमने सुना है कि लड़कियां भावनात्मक होती है और लड़के मजबूत। लड़के जल्दी रोते नहीं हैं। उन्हें रोने का हक नहीं है। वह फौलादी होते हैं। उन्हें सभी का दर्द बांटना होता है लेकिन स्वयं का दुख वह जाहिर नहीं कर।सकते।
लेकिन ऐसा क्यों है क्या आपने कभी सोचा है। क्या सच मे लड़के फौलादी होते हैं। क्या सच मे लड़कों को दुख नहीं होता है। क्या लड़को के मन मे भावनाएं नहीं होती हैं। आज हम इन्हीं सवालों के जवाब देते हैं।
जब लड़को की बात आती है। तो उन्हें बचपन से यह सिखाया जाता है कि वह रो नहीं सकते। क्योंकि लड़के रोते नहीं हैं। उनके मन मे सामाज द्वारा यह धारणा बिठा दी जाती है कि यदि वह रोए तो उनकी तुलना लड़कियों से की जाएगी और लड़के दबाव में आकर अपने भाव छुपाने लगते हैं।
उनपर यह प्रेशर बनाया जाता है कि वह अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकते और उन्हें रोने के लिए नहीं बनाया गया। लेकिन वास्तव में लड़के भावनात्मक होते हैं। उनके मन मे करूणा, प्रेम, सुख, दुख व्यक्त करने का भाव होता है। लड़के भी टूट जाते हैं। लेकिन दवाब की वजह से वह सबके सामने अपना दुख जाहिर नहीं कर सकते हैं।
क्योंकि समाज मे उनसे यह हक छीन लिया है कि वह प्रखर होकर अपने भाव व्यक्त कर सकें। वास्तविकता यही है कि पुरुष के मन मे कई भाव होते हैं और उसकी भावनाएं स्त्री से भिन्न नहीं होती। लेकिन उसे अपनी भावनाएं व्यक्त करने का हक समाज ने नहीं दिया होता है और पुरुष अंदर ही अंदर घुटन महसूस करता रहता है।