जीवन शैली l पत्रकारिता विभाग की प्रोफेसर रही विजयता पाण्डेय कहती है मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा संकट उसका अहंकार है। अहंकार जिस व्यक्ति पर छाता है यह उसे नष्ट कर देता है। यह व्यक्ति की सफलता का सबसे बड़ा रोड़ा बनता है। क्योंकि इतिहास कहता है की आज तक अहंकारी व्यक्ति को कभी कोई सफलता हासिल नहीं हुई है यह महज विनाश का कारण बना है। उदाहरण के लिए हम हिंदुओ के प्रमुख ग्रन्थ रामायण के अहम किरदार रावण को ही देख ले। रावण जिसे अमृत का वरदान प्राप्त था फिर भी वह श्री राम के सामने नही टिक पाया और अपने अहंकार के चलते अपने विनाश का कारण बना। वही यदि हम आज के परिपेक्ष्य की बात करें तो आज के मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन उसका अहंकार है अहंकार को हम घमंड भी कह सकते हैं।
विजयता पाण्डेय कहती हैं की जब कोई व्यक्ति खुद पर बिना वजह घमंड करता है किसी की नहीं सुनता है और अपने समान किसी को नहीं आंकता है तब वह अहंकार की बेड़ियों में जकड़ जाता है। कहते हैं कीड़े कपड़े को नष्ट कर देते हैं ठीक उसी प्रकार अहंकार व्यक्ति के विवेक को नष्ट कर देता है उसके सोचने समझने की शक्ति को क्षीण करता है और उसे स्कारतकता से नकारात्मकता की ओर ले जाता है। आजकल हम सब देखते है मुनष्य खुशी की तलाश करता है इधर उधर अपनी खुशी को खोजता है लेकिन उसे खुशी नहीं मिलती उसकी खोज अधूरी रहती है। इसका कारण उसका भाग्य नहीं अपितु उसका अहंकार है क्योंकि दुख का आरंभ अहंकार का प्रथम चरण है। व्यक्ति के दुखों का कारण उसका अहंकार ही है और अहंकार उसी के भीतर निवास करता है जो स्वयं को सर्वश्रेष्ठ, सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञाता समझता है।
जाने कैसे लोग होते हैं अहंकारी-
विजयता पाण्डेय कहती है अहंकारी व्यक्ति कहीं बाहर से नही आता वह हम आपके बीच का ही सामान्य व्यक्ति होता है। लेकिन उसका व्यवहार उसके आचरण का परिचय देता है। जो व्यक्ति अहंकार में डूबा होगा वह कभी भी अपने बारे में नहीं सोचता न अपने विषय मे बात करता है। उसका एकमात्र लक्ष्य दूसरों को आंकना उनके विषय मे सोचना और उनपर चर्चा करना होता है। क्योंकि इनका उद्देश्य नकारात्मक होता है यह सदैव दूसरो को खुद से नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं और जब यह अपने उद्देश्य में सफल नही होते तो दुख में डूब जाते हैं और अपने भाग्य को कोसते है।
उन्होंने अहंकार को ज्ञान से जोड़ते हुए कहा, अहंकार वान लोग खुद को सर्वश्रेष्ठ समझते हैं वह अपनी चीजो को बढ़ा चढ़ाकर दिखाते हैं। यह किसी की सलाह नहीं लेते और न किसी के ज्ञान को स्वीकारते हैं। क्योंकि अहंकार शराब की भांति एक लत है यह जिस व्यक्ति को लगती है उसे बर्बाद कर देती है। क्योंकि ऐसे व्यक्ति जीवन मे आगे नहीं बढ़ते और न अच्छे गुणों को खुद में प्रवेश करने देते यह खुद को बड़ा समझते हैं और अपने ज्ञान में बढ़ोत्तरी नहीं कर पाते।
अहंकार डालता है मानसिक स्थिति पर प्रभाव- विजयता पाण्डेय
विजयता पाण्डेय कहती है अहंकार व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर को प्रभावित करता है। क्योंकि जब कोई इसकी संगति में होता है तो उसका साथ हर कोई छोड़ देता है। ऐसे लोगो का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ा रहता है यह कभी भी खुश नहीं रहते क्योंकि इनके दिमाग ने हर दम दूसरों को नीचा दिखाने का विचार चलता रहता है। यह इतने अकेले होते हैं कि यह अपने मन की बात कभी किसी से नहीं कह पाते हैं और अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं। ऐसे लोग कभी किसी से जुड़ नहीं पाते और यह सामाजिक नहीं होते क्योंकि यह लोगो के समूह में भी खुद की तारीफों के पुल बांधते रहते हैं और खुद को सर्वोच्च दिखाने का प्रयास करते हैं। यह इतने स्वार्थी होते हैं की इन्हें किसी अन्य के सुख दुख से ज्यादा अपने स्वार्थ से मतलब होता है यह स्वयं को खुश रखने हेतु किसी को दुख पहुंचाने या उनपर कटाक्ष करने से नहीं चूकते है।
सामान्यतः यह एक ऐसा रोग है जो अंदर ही अंदर व्यक्ति को नष्ट करता है। इसका कोई इलाज नहीं है और न इसे शांत किया जा सकता है। यह ऐसे स्वभाव के होते हैं की अपनी कमजोरियों को छुपाने के लिए किसी दूसरे को नीचा दिखाने लगते हैं। यह दूसरों की कमियों को निकालने में माहिर होते हैं। इनके सम्बंध से पारिवारिक सम्बन्धों में कटुता आती है। यह मुख्यतः व्यक्ति की क्षमताओं दया नम्रता जैसे गुणों को बर्बाद कर देता है।