लाइफ: स्त्री को पुरूष अपनी जरूरत का सामान समझता है। पुरूष को लगता है स्त्री सिर्फ उसके भोग की वस्तु है। स्त्री का जन्म पुरुष की शरीरिक अभिलाषा को शान्त करने के लिए हुआ है। लेकिन आचार्य चाणक्य(Acharya Chanakya) ने चाणक्य ग्रंथ(Chanakya granth) में कुछ ऐसे पुरुषों का वर्णन किया है। जो स्त्री को भोग की वस्तु नहीं समझते हैं।
आचार्य चाणक्य(Acharya Chanakya) के मुताबिक जो पुरूष अपनी कामनाओं पर विजय प्राप्त कर लेता है। उसके लिए स्त्री भोग की वस्तु नहीं होती है। ऐसे पुरुष स्त्री का सम्मान करते हैं। स्त्री के साथ खड़े होते हैं। कामनाओं को जो पुरुष जीत लेता है वह अपने घर की स्त्रियों को बराबरी का दर्जा देता है और उसका यह स्वभाव उसके घर में सुख-समृद्धि बनाए रखता है।
आचार्य चाणक्य(Acharya Chanakya) के मुताबिक- जो व्यक्ति अपने स्वरूप को जान लेता है। उसे स्वर्ग की अभिलाषा नहीं होती है। जिस व्यक्ति ने अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया है उसे संसार की किसी भी वस्तु का मोह नहीं रहता है। वहीं अगर कोई व्यक्ति अपनी कामनाओं को नियंत्रित करता है उसे कभी भी स्त्री के भोग की अभिलाषा नहीं होती है।