हाल ही में हैदराबाद स्थित गैर-सरकारी संगठन, हेल्पिंग हैंड फाउंडेशन (एचएचएफ) द्वारा किए गए एक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में रंगारेड्डी जिले के कंदुकुर मंडल के अंतर्गत आने वाले मुचेरला और मीरखानपेट के ग्रामीण गांवों में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और नेत्र स्वास्थ्य समस्याओं की चौंकाने वाली दरें सामने आई हैं। इस सर्वेक्षण से विशेष रूप से नेत्र देखभाल से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ सामने आई हैं, जिसमें बुजुर्ग आबादी में मोतियाबिंद का उच्च प्रसार देखा गया है। यह सर्वेक्षण एचएचएफ के ग्रामीण एनसीडी आउटरीच कार्यक्रम का हिस्सा था, जो पिछले 45 दिनों में आयोजित पांच स्क्रीनिंग शिविरों के माध्यम से आयोजित किया गया था। लगभग 3,500 की आबादी में से 800 से अधिक लोगों की मधुमेह, उच्च रक्तचाप और आँखों से संबंधित बीमारियों के लिए जाँच की गई। इस अध्ययन में पाया गया कि कई ग्रामीणों को मोतियाबिंद जैसी समस्याओं का पता चला था, लेकिन इन समस्याओं के लिए कोई अनुवर्ती उपचार प्रदान नहीं किया गया था। यद्यपि अपवर्तक त्रुटि चश्मे प्रदान किए गए थे, लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि चश्मे अप्रभावी थे, क्योंकि सभी को व्यक्तिगत आवश्यकताओं की परवाह किए बिना एक ही प्रिस्क्रिप्शन दिया गया था।
ग्रामीण क्षेत्रों में नेत्र स्वास्थ्य समस्याएँ: एक गंभीर चुनौती
मोतियाबिंद का व्यापक प्रसार
मुचेरला और मीरखानपेट में 200 रोगियों की एचएचएफ की जांच में पाया गया कि 21% में सेनील मोतियाबिंद, 18% में अपरिपक्व मोतियाबिंद और 15% में अपवर्तक त्रुटियां थीं। इन रोगियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बुजुर्ग थे, जिनमें से कई को उन्नत नेत्र देखभाल सुविधाओं तक पहुंच नहीं थी। यह दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मोतियाबिंद एक बड़ी समस्या है जिसका समाधान तत्काल जरुरी है। बढ़ती आबादी के साथ ये संख्या और भी बढ़ सकती है जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर और अधिक दबाव पड़ेगा।
कमज़ोर सरकारी योजनाएँ
सरकार की “कँटी वेल्गु” योजना, जिसका उद्देश्य राज्यव्यापी नेत्र जांच प्रदान करना था, अपनी अपूर्णता दर्शाती है। हालांकि इस कार्यक्रम के दौरान कई ग्रामीणों को मोतियाबिंद जैसी स्थितियों का पता चला था, लेकिन उन समस्याओं के लिए कोई अनुवर्ती उपचार नहीं दिया गया था। चश्मों का वितरण तो हुआ लेकिन बिना व्यक्तिगत जाँच के समान नुस्खे से दिए गए चश्मे अप्रभावी साबित हुए। इससे साफ है की योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार की ज़रूरत है और बेहतर निगरानी ज़रूरी है।
एचएचएफ का मुफ़्त इलाज कार्यक्रम: एक उम्मीद की किरण
निःशुल्क मोतियाबिंद सर्जरी और उपचार
मोतियाबिंद और अन्य नेत्र संबंधी समस्याओं की उच्च घटनाओं के जवाब में, एचएचएफ ने निःशुल्क उपचार प्रदान करने के लिए कदम उठाया है। अब तक 10 मोतियाबिंद सर्जरी की जा चुकी हैं, और आने वाले हफ़्तों में और भी सर्जरी की योजना है। रोगियों को एचएचएफ अस्पताल तक मुफ़्त परिवहन, सर्जरी, और सर्जरी के बाद देखभाल, परामर्श और एचएचएफ कर्मचारियों से सहायता भी मिल रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ
यह पहल दिखाती है की कैसे एक निजी संगठन सरकारी योजनाओं की खामियों को दूर करके लोगों की ज़रूरतों को पूरा कर सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी एक प्रमुख चुनौती है और ऐसे कार्यक्रमों की ज़रूरत इसी कमी को पूरा करने में है। एचएचएफ द्वारा मुफ़्त चश्मे और ग्लूकोमा और रेटिनोपेथीज़ के इलाज़ से यह साबित होता है की समस्या का समाधान संभव है। इस पहल का विस्तार करने से हज़ारों ग्रामीणों को फ़ायदा हो सकता है।
भविष्य की दिशाएँ और सुझाव
सरकारी सहयोग की आवश्यकता
ग्रामीण क्षेत्रों में नेत्र स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार और गैर-सरकारी संगठनों के बीच सहयोग आवश्यक है। एचएचएफ जैसी संस्थाओं को सरकारी स्तर पर और अधिक सहयोग और संसाधन मिलने चाहिए। इसके अलावा, सरकार को अपने कार्यक्रमों के क्रियान्वयन पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके की धन का सही इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही जागरूकता कार्यक्रम चलाकर ग्रामीणों को अपनी आँखों की देखभाल के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है।
सतत प्रयासों की आवश्यकता
यह मात्र एक शुरुआत है। इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता है, जिनमे पर्याप्त प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारियों की तैनाती, उपकरणों और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना और समुदायों में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाना शामिल है। एचएचएफ का कार्यक्रम एक आदर्श उदाहरण है लेकिन देश में इस तरह की और पहलों की ज़रूरत है। ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षित जनता के स्वास्थ्य का ध्यान रखना एक राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी है जिसमे सभी पक्षों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
मुख्य बातें:
- ग्रामीण क्षेत्रों में नेत्र रोगों, विशेष रूप से मोतियाबिंद, का व्यापक प्रसार है।
- सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता संदिग्ध है और बेहतर अनुवर्ती कार्रवाई की आवश्यकता है।
- एचएचएफ जैसी गैर-सरकारी संस्थाएँ निःशुल्क उपचार प्रदान करके महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में नेत्र स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार और एनजीओ के बीच सहयोग आवश्यक है।