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जीवन शैली- तकनीकी का तेजी से विस्तार हो रहा है इंटरनेट से अपनी समस्या को सुलझाने का जमाना आप आर्टिफिशल इंटेलीजेंस पर पहुंच गया है। लोगों का ज्यादातर समय मोबाइल फोन के उपयोग में गुजरता है। माता पिता बच्चों को व्यस्त रखने के लिए उनके हाथ में मोबाइल थमा देते हैं बच्चे बड़े मन से घंटो बैठकर मोबाइल की स्कीन पर देखते रहते हैं उनका बाहर जाना कम हो गया है। 

आज कल के बच्चें अब मोबाइल के इतने शौकीन हैं कि उन्हें भोजन से अधिक फोन की जरूरत है प्रकृति से उनका जुड़ाव खत्म हो चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चों का अधिक मोबाइल देखना उनके स्वास्थ्य के लिए कितना प्रतिकूल है जी हाँ सही सुना आपने अगर आपका बच्चा अधिक समय तक फोन का उपयोग करता है तो उसका मानसिक रूप से बीमार होना स्वाभाविक है। यह मैं नहीं कह रही यह कह रहें हैं विशेषज्ञ –

जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ –

विशेषज्ञ का कहना है भले तकनीकी हमारे जीवन को सरल करती है लेकिन इसका अधिक उपयोग हमारे लिए बड़ा खतरा बन सकता है अगर कोई बच्चा ज्यादा देर स्मार्टफोन का उपयोग करता है तो अभिभावकों को सचेत रहने की आवश्यकता है क्योंकि यह आपके बच्चे को माइग्रेन, मानिसक पीड़ा या वर्चुअल आटिज्म का शिकार बना सकता है। 

बच्चें जब वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार होते हैं तो उनमे कई लक्षण प्रभावी रूप से दिखाई देते हैं, बच्चें अपने परिवार के लोगों से बातचीत करना नहीं  पसंद करते उनको अकेले रहना पसंद होता है।  वह देर तक एकांत में बैठ कर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइज का उपयोग करते हैं, अपनी प्रत्येक गतिविधि के साथ उनको मोबाइल की जरुरत होती है। समाज से उनकी दूरी बन जाती है , लोगों के साथ रहना या हंसी मजाक करना उनको रास नहीं आता और यदि कोई उनका फोन उनसे ले लेता है तो वह चिढ़ने लगते हैं। 

वहीं अगर छोटे बच्चों को वर्चुअल आटिज्म होता है तो वह बच्चे बोलना, चलना और खड़े होना देर से शुरू करते हैं इसके आलावा मोबाइल का अधिक उपयोग करने वाले बच्चें भावना विहीन हो जाते हैं और उनका दिमाग रोबोटिक फॉर्म में काम करने लगता है। जानकारों का कहना है कि स्मार्ट फोन का अधिक उपयोग बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है बच्चों के विकास को स्थिर करता है, बच्चे समाजिक नहीं होते और उनको बचपन से ही मानसिक बीमारियां होती हैं।