जीवन शैली: मनुष्य का जीवन सबसे सुंदर बताया गया है। यह समाजिक प्राणी है और लोगों के बीच उनसे जुड़कर रहना उसका स्वाभाव है। यदि मनुष्य को समाज से प्रथक कर दिया जाए तो वह मानसिक तनाव में आ जाएगा हो सकता है यह तनाव उसके जीवन को तिल-तिल करके खत्म कर दे। वहीं आज के समय में हर दूसरा व्यक्ति अकेलेपन से जूझ रहा है।
लोग अपनों के बीच भी अकेले हैं उन्हें हमेशा आवश्यकता रहती है एक सहारे की जो उनकी मानसिक स्थिति को समझ सके और उसे सहारा दे सके। लेकिन उनके पास कोई नही होता है और लोग अकेलेपन की वजह से परेशान रहते हैं। यह अकेलापन व्यक्ति के लिए जहर बन जाता है इससे व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार से व्यथित रहता है। अकेलेपन के कारण व्यक्ति कई गलत आदतें सीख लेता है और स्वयं को तकलीफ देता है। वही आज हम अकेलेपन के विषय में जानेंगे –
जानें क्या है अकेलापन :
अकेलापन पीड़ा दायक है यह व्यक्ति को भावनात्मक तोड़ देता है। जब व्यक्ति स्वयं को अकेला महसूस करता है तो वह स्वयं को समाज से प्रथक समझता है, उसे रिश्ते नहीं दिखाई देते उसे लगता है उसके आस पास उसका कोई नहीं है सब कुछ मिथ्या है। सभी उससे स्वार्थ सिद्दी के लिए जुड़े हैं। अकेलापन व्यक्ति को तब महसूस होता है जब वह अपने मन की व्यथा किसी को नहीं बता पाता है और अंदर ही अन्दर टूटता रहता है। वास्तव में अकेलापन व्यक्ति को तोड़ने की एक विधा है जो सीधे उसके मस्तिस्क को प्रभावित करती है।
कब होता है अकेलापन –
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, उसे लोगों के साथ रहना पंसद है जो व्यक्ति स्वयं तक सीमित रहता है जल्दी किसी पर विश्वास नही कर पाता उसे अकेलापन अधिक सताता है। व्यक्ति जब लोगों से मिलता है उनसे बात करता है उनको स्पर्श करता है तो उसका मन प्रसन्न रहता है लेकिन जो व्यक्ति लोगों से प्रत्यक्ष बात नहीं कर पाता, अपने मन की पीड़ा किसी को नहीं बताता वह निरंतर दुखी रहता है और मानसिक तनाव उसके जीवन में जहर घोल देता है। अकेलापन लोगों से दूर रहने और अपने मन की व्यथा किसी से न कह पाने के कारण होता है।