रिलेशनशिप- आज के समय मे किसी की ओर आकर्षित होना आम बात है। लेकिन किसी व्यक्ति से सच्चा प्रेम करना बेहद मुश्किल। क्योंकि प्रेम समर्पण का स्वरूप है और आकर्षण अभिलाषा का। लेकिन लोग आकर्षण और प्रेम में मध्य का अंतर नहीं जानते और अज्ञानता के कारण आकर्षण को प्रेम समझ लेते हैं।
लेकिन वास्तव में आकर्षण प्रेम को कभी स्पर्श नहीं कर सकता है। क्योंकि दोनो में जमीन आसमान का अंतर है। आकर्षण व्यक्ति को सदैव दुख देता है और प्रेम व्यक्ति का प्रत्येक परिस्थिति में सुख बनाता है
यदि हम आकर्षण की बात करें तो यह अभिलाषा, उम्मीद और इच्छाओं के साथ चलता है और जिसके प्रति आप आकर्षित होते हैं उससे यह कई चीजें प्राप्त करने की इच्छा रखने लगता है। वहीं यदि हम प्रेम की बात करें तो प्रेम सत्य, समर्पण और विश्वास से बनता है। प्रेम का एक मात्र भाव समर्पण होता है।
यह आकर्षण से बिल्कुल अलग होता है। प्रेम में लोग किसी से कोई चाहता है रखते बल्कि प्रेम को अनुभव करते हुए प्रसन्न रहते हैं। जहां आकर्षण अभिलाषा से घिरा होने के कारण आपको दुख देता है वहीं प्रेम समर्पण के चलते सदैव आपको सुख देता है। प्रेम में कभी मिलन की इच्छा नहीं होती क्योंकि प्रेम अनुभव है उम्मीद नहीं और आकर्षण अभिलाषा है भाव नहीं।