रिलेशनशिप– रिश्ता कोई भी हो लेकिन उसका मूल तत्व अपनापन ही होता है। कहते हैं कि जब आप किसी व्यक्ति के साथ जुड़ते हैं तो उससे सिर्फ आप नहीं जुड़ते बल्कि उससे आपकी भावनाओं के साथ साथ आपकी आत्मा भी जुड़ जाती है। लेकिन कई बार हम कुछ ऐसे रिश्ते बनाते हैं जो इस संसार के सबसे खूबसूरत रिश्तों में गिने जाते हैं।
ठीक ऐसे ही रिश्ते में आता है दोस्ती का रिश्ता। दोस्त हमारा कोई सगा संबधी नहीं होता है। लेकिन जब हम हमारे साथ मित्रता के भाव से जुड़ता है तो वह हमारे परिवार का हिस्सा बन जाता है और एक वही होता है जिससे हम अपने सुख दुख को बांट सकते हैं।
लेकिन आज समय काफी बदल गया है। अब लोग मित्रता स्वार्थ के लिए करते हैं। लोगों को यह लगता है की इस संसार मे प्रत्येक रिश्ता स्वार्थ और धन के बलबूते पर बनाता है और वही जीवित रहता है। लेकिन सत्य इससे भिन्न है। क्योंकि मित्रता भाव है और मित्रता करते समय यदि कोई व्यक्ति हित देखता है तो आपको ऐसे लोगों से सतर्क रहने की आवश्यकता है। क्योंकि यह लोग आपके मित्र बनकर आपके साथ रहेंगे लेकिन आपके साथ ही छल करेंगे।
मित्रता करते समय ध्यान रखें यह बातें-
यदि आप किसी को अपना मित्र बना रहे हैं। तो आप सतर्क रहें कि कहीं आप जिसके साथ मित्रता कर रहे हैं या जो आपका मित्र हैं वह आपके साथ सिर्फ फायदे के लिए तो नहीं खड़ा है।
मित्र सदैव ऐसा बनाएं जो आपके सुख का नहीं आपके दुख का साथी बने और जब आपको किसी चीज की जरूरत महसूस तब वह आपके साथ खड़ा हो।
मित्र का धर्म आपके साथ गलत काम करना नहीं अपितु आपको गलत करने से रोकना होता है। अपना मित्र उसे ही बनाएं जो आपको गलत कार्य करने से रोके और आपको सकारात्मक मार्ग की ओर जाने के लिए प्रेरित करे।
आपका सच्चा मित्र वही होगा जो आपके सुख में आपसे अधिक प्रसन्न होगा। वहीं आपको सदैव सफल होने की प्रेरणा देता होगा।