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ज्ञान– आज कल हम देखते हैं कि बच्चे घर के बड़ों का सम्मान नहीं करते हैं। हर बात का वह जवाब देते हैं। यदि आप उनको सही मार्ग दिखाते हैं तो वह आपको गलत समझते हैं। बच्चों को लगता है कि आज उनका सबसे बड़ा दुश्मन उनके अपने ही हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बच्चों का व्यवहार इस प्रकार का क्यों होता जा रहा है।

असल में बच्चे नासमझ होते हैं। वह वैसा व्यवहार ही करते हैं जैसा उन्हें अपने परिजनों से देखने को मिलता है। यदि आप अपने घर के बच्चों के सामने सकारात्मक व्यवहार करते हैं। वहीं यदि हम बच्चों के सम्मुख खराब व्यवहार करते हैं तो बच्चे भी आपसे सीख कर उसी प्रकार का व्यवहार करने लगते हैं।
लेकिन बच्चो के व्यवहार के परिदृश्य में आचार्य चाणक्य ने कुछ विशेष बातें बताई हैं। जिनका सीधा संबंध अभिभावकों से है। आचार्य चाणक्य के मुताबिक यदि आप अपने बच्चों के सामने अपने से बड़ो का आदर नहीं करते हैं। उनसे ऊंची आवाज में बात करते हैं। छोटी-छोटी बात पर उनसे बहस करते हैं। तो आपके इस व्यवहार से बच्चे प्रभावित होते हैं और वह भी आपके साथ ऐसा ही व्यवहार करने लगते हैं।
आचार्य चाणक्य का कहना है कि अगर आपकी भाषा मे विनम्रता का भाव नहीं है। तो आप अपने आसपास के लोगों को कभी बेहतर नहीं पा सकते। क्योंकि आपकी भाषा से व्यवहार का निर्माण होता है। वहीं तीखी बोली आपके रिश्तों के साथ-साथ बच्चों के व्यवहार को प्रभावित करती है और बच्चे गलत मार्ग पर जाते हैं।