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जीवन शैली – प्रेम ब्रह्मंड का सत्य है जो व्यक्ति प्रेम के मूल को समझ लेता है और सत्य के साथ प्रेम से जुड़ता है उसका जीवन सफल हो जाता है. कहते हैं प्रेम के बिना जीवन अधूरा है जो व्यक्ति प्रेम नही समझ सकता वह इस शायद भगवान को नही समझ सकता है क्योंकि हम सभी अक्सर कहते हैं कि प्रभु सत्य हैं और जो सत्य है वही प्रेम है .आज के समय में हमने देखा है कि लोग प्रेम को महत्व नहीं देते अपने जीवन का निर्णय जल्दबाजी में लेते हैं किसी के लिए शारीरिक सम्बंध ही प्रेम हैं लेकिन वास्तव में प्रेम मन का भाव है और जो व्यक्ति मनोभाव को समझता है वह प्रेम के मूल को जनता ही नहीं अपितु उसे महसूस करता है .

वहीं शादी एक पवित्र बंधन है यह प्रेम को साकर करता है वैसे तो प्रेम का अर्थ मन का मिलना है लेकिन सांसारिक जीवन के लिए विवाह आवश्यक है. कई लोग परिजनों के दबाव में आकर अपने प्रेम का त्याग करते हैं किसी अन्य स्त्री से विवाह करते हैं उन्हें लगता है वह जीवन में अपने माता-पिता के लिए त्याग कर रहे हैं यह उनके लिए सर्वशक्तिमान है लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम होता है कि उस समय वह अगर सबसे ज्याद किसी को ठग रहे होते हैं तो वह प्रेम है .

क्यों करना चाहिए प्रेम विवाह –

आध्कायात्म  कहना है कि प्रेम जीवन को सुख और सकारात्मक बनाता है जो व्यक्ति प्रेम को चुनता है स्वयं भगवान का आशीर्वाद उनको प्राप्त होता है प्रेम जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है प्रेम विवाह से व्यक्ति के जीवन में सुख आता है और जीवन साथी के बीच एक आपसी तालमेल रहता है. जो व्यक्ति प्रेम विवाह करता है उसको अपने जीवन में सत्य प्राप्त होता है, प्रेम विवाह करने वाले व्यक्ति अपने साथी के प्रति न सिर्फ समर्पित रहते हैं बल्कि अपने साथी के आचरण से परिचित होते हैं .