भारत में क्षय रोग (टीबी) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं। समय के साथ, क्षय रोग के उपचार में भी उन्नति हुई है और अब बहु-औषधि प्रतिरोधी क्षय रोग (MDR-TB) के लिए नई उपचार पद्धतियाँ उपलब्ध हैं। इन नई पद्धतियों को अपनाने में तेजी लाना और रोगियों को बेहतर उपचार प्रदान करना बेहद ज़रूरी है ताकि भारत अपने क्षय उन्मूलन के लक्ष्यों को प्राप्त कर सके। सरकार द्वारा हाल ही में बीपीएएलएम (BPaLM) उपचार पद्धति को मंज़ूरी देना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह लेख इसी BPaLM पद्धति और इसके महत्व पर केंद्रित है।
BPaLM: एक नया आशा किरण
BPaLM पद्धति क्या है?
BPaLM एक नई चतुष्पद औषधि पद्धति है जिसमें बेडाक्विलिन, प्रेटोमैनिड, लाइनज़ोलिड और मोक्सीफ्लोक्सासिन शामिल हैं। यह पद्धति बहु-औषधि प्रतिरोधी क्षय रोग (MDR-TB) के उपचार के लिए डिज़ाइन की गई है, जो आइसोनियाज़ाइड और रिफैम्पिसिन जैसी पहले की प्रमुख दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होता है। पारंपरिक उपचार 20 महीनों तक चल सकते हैं और रोगियों को गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है। BPaLM पद्धति से उपचार की अवधि मात्र छह महीनों तक सीमित हो जाती है और यह उच्च सफलता दर प्रदान करती है।
BPaLM के लाभ
BPaLM पद्धति के कई फायदे हैं जिनमें शामिल हैं:
- उपचार की अवधि में कमी: पारंपरिक उपचारों की तुलना में, BPaLM पद्धति उपचार की अवधि को नाटकीय रूप से कम करती है, जिससे रोगियों को जल्दी स्वस्थ होने में मदद मिलती है।
- उच्च सफलता दर: BPaLM पद्धति से MDR-TB के उपचार में सफलता दर काफी अधिक होती है।
- दुष्प्रभावों में कमी: जबकि सभी दवाओं के अपने दुष्प्रभाव हो सकते हैं, BPaLM पद्धति से पारंपरिक उपचारों की तुलना में दुष्प्रभाव कम होते हैं।
- लागत प्रभावशीलता: BPaLM पद्धति लागत के मामले में भी प्रभावी साबित हुई है।
भारत में BPaLM की महत्ता
भारत में लगभग 75,000 लोग MDR-TB से पीड़ित हैं। BPaLM पद्धति इन रोगियों के लिए एक नया आशा किरण है, जिससे उन्हें कम समय में और बेहतर ढंग से उपचार मिल सकता है। यह पद्धति भारत के 2025 तक क्षय रोग उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
सरकारी पहल और क्षय रोग नियंत्रण
रोग निदान और उपचार में सुधार
भारत सरकार ने क्षय रोग के खिलाफ लड़ाई में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। पारंपरिक संस्कृति और औषधि संवेदनशीलता परीक्षण से तेज़ आणविक परीक्षणों में परिवर्तन से MDR-TB के मामलों का पता लगाने, उपचार कवरेज में वृद्धि, उपचार सफलता दर में सुधार और मृत्यु दर में कमी आई है।
निक्षय मित्र योजना की सफलता
निक्षय मित्र योजना के माध्यम से, सरकार रोगियों को वित्तीय, पोषण संबंधी और सामाजिक सहायता प्रदान कर रही है, जिससे उपचार की सफलता दर और बेहतर होती है।
प्रगति और भविष्य की दिशा
2015 से 2022 के बीच, भारत ने क्षय रोग के मामलों में 16% की कमी देखी है, जो वैश्विक औसत से लगभग दोगुना है। मृत्यु दर में भी 18% की कमी आई है। भारत ने पहले भी प्रत्यक्ष अवलोकन चिकित्सा लघु-अवधि कार्यक्रम (DOTS) के साथ क्षय रोग देखभाल में क्रांति ला दी थी। अब BPaLM पद्धति के साथ, सरकार को क्षय रोग के निदान और उपचार में अग्रणी भूमिका निभाते रहना चाहिए।
चुनौतियाँ और समाधान
BPaLM पद्धति को अपनाने में आने वाली चुनौतियाँ
BPaLM पद्धति को व्यापक स्तर पर अपनाने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। इनमे शामिल है दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना, स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना, और रोगियों को उपचार तक पहुँचाना।
समाधान और आगे का रास्ता
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, सरकार को दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने, स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लागू करने, और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में रोगियों तक पहुँचने के लिए प्रभावी रणनीतियाँ विकसित करने की आवश्यकता है। साथ ही, जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को क्षय रोग के लक्षणों और उपचार के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
निष्कर्ष
BPaLM पद्धति MDR-TB के उपचार में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस पद्धति को अपनाने से भारत में क्षय रोग उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। हालाँकि, चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन उचित योजना और कार्यान्वयन के साथ, भारत क्षय रोग से मुक्त भविष्य की ओर बढ़ सकता है।
मुख्य बिन्दु:
- BPaLM पद्धति MDR-TB के उपचार के लिए एक प्रभावी और लागत प्रभावी उपचार है।
- यह उपचार की अवधि को कम करता है और सफलता दर में वृद्धि करता है।
- भारत सरकार ने BPaLM पद्धति को अपनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
- चुनौतियाँ हैं, लेकिन उचित योजना और कार्यान्वयन के साथ इनसे निपटा जा सकता है।
- BPaLM पद्धति भारत के क्षय रोग उन्मूलन लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।