ज्ञान– आप कैसे हैं। आप क्या करते हैं आपका आचरण कैसा है और आपकी संगत क्या है। यह सब आपके व्यवहार में दिख जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आपका व्यवहार अपनी संगत से ही निर्मित होता है।
ज्ञानात्माओं का कहना है कि आप जैसे लोगों के मध्य रहते हैं। आप जिस प्रकार के विचारों के विषय मे सोचते हैं और आप जिस प्रकार से लोगों से बातचीत करते हैं। आपका व्यवहार वैसा ही हो जाता है।
अगर आप अपने दिन की शुरुआत अच्छे विचारों के साथ करते हैं और उचित कार्यों में अपना ध्यान लगाते हैं। तो आपका जीवन उसी पथ पर आगे बढ़ता है। वहीं यदि आप नकारात्मक विचारों के इर्द गिर्द रहते हैं तो आपका व्यवहार उसी प्रकार का हो जाता है और आप सदैव परेशान रहते हैं।
कैसे बनता है व्यवहार-
ज्ञानात्माओं का कहना है कि आपका व्यवहार आपके रोजमर्रा के जीवन पर निर्भर करता है। आप जैसे लोगों के मध्य रहते है आप उन्हीं की तरह व्यवहार करने लगते हैं। अतः आपकी संगत जैसी होगी आप वैसे ही हो जाएंगे। यदि आप अच्छे विचार वाले लोगों के मध्य रहते हैं। तो आपके विचार अच्छे होंगे और आप सकारात्मक रहेंगे।
वहीं यदि आप किसी बुरे विचार वाले लोगों के मध्य रहते हैं। तो इसका अपके ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और आपके मन मे भी वैसे ही विचार आने लगते हैं।
इसे हम ऐसे भी समझ सकते हैं। यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहते हैं। जो निरंतर इसी प्रयास में लगा रहता है कि वह क्या करे कि उसे अपार धन की प्राप्ति हो। तो आपकी ललक भी धन कमाने की ओर बढ़ती है। वहीं यदि आप ऐसे व्यक्ति के मध्य रहते हैं जो बार-बार यही सोचता है कि कैसे दूसरों का अहित करें तो आप भी दूसरों के अहित के विषय में विचार करने लगते हैं।