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लाइफ:- हुस्न की चाहत हर किसी को होती है। वासना(Desire) की इच्छा में लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं। कई बार यह हमें अपराध(crime) के मार्ग पर ले जाती है और वासना(desire) के कारण हम अपने जीवन(Life) मे सुख(happiness) को अनुभव नहीं कर पाते हैं। हमें लगता है कि यदि हमारी वासना(Desire) की पूर्ति नहीं हुई तो हमें अपने जीवन में सुख(happiness) की प्राप्ति नहीं होगी।

वहीं आचार्य चाणक्य ने वासना(Acharya Chanakya say desire is Disease) को एक रोग बताया है। आचार्य चाणक्य(According to Acharya Chanakya) का कहना है कि वासना(no tritment for desire) के समान कोई रोग नहीं है। क्योंकि इसका कोई इलाज नहीं है। वासना(Desire) के वशीभूत होकर व्यक्ति अपना आपा खो देता है और संसार(world) के दुखों से घिर जाता है। यह ऐसा दुष्कर रोग है जो अगर हमें कुछ दे सकता है तो वह है दुख।
आचार्य चाणक्य(Acharya Chanakya) के मुताबिक वासना(desire) इस संसार का सबसे बड़ा दुष्कर रोग है। मोह हमारा सबसे बड़ा शत्रु है यह हमें रोज मौत देता है। वहीं इस संसार मे क्रोध के समान कोई अग्नि नहीं है। क्योंकि जब हम क्रोध में होते हैं तो हमारी जुबान से कटु शब्द निकलते हैं जो हमें अंदर ही अंदर जलाते हैं और हमारे शब्दों की आग से हमारे रिश्ते भी जल जाते हैं।