मेंटल डिसऑर्डर को लेकर आज भी भारत में बहुत कम जागरूकता है। इस वजह से अक्सर इलाज तब शुरू हो पाता है जब स्थिति काफी बिगड़ जाती है। ऐसे में ज्यादा दवाइयां और अन्य उपायों का सहारा लेकर मरीज के डिसऑर्डर को दूर करने की कोशिश की जाती है। यह इलाज लंबा या जिंदगीभर चल सकता है।
अगर मेंटल डिसऑर्डर के लक्षणों को शुरुआत में ही पहचान लिया जाए तो व्यक्ति को नॉर्मल होने व आम लोगों जैसा जीवन जीने में मदद मिलती है और उसके पूरी तरह ठीक होने के चांस भी काफी ज्यादा होते हैं। हम बता रहे हैं ऐसे ही कुछ मुख्य लक्षणों के बारे में:
- दुखी महसूस करना और किसी चीज से खुशी न मिलना
- किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना
- बहुत ज्यादा डर लगना और चिंता होना
- मूड में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव
- दोस्तों और ऐक्टिविटीज से दूर होना
- सोने में परेशानी, थकान महसूस करना और ऊर्जा में कमी आना
- रिऐल्टी से दूर होना और इमेजिनेशन का सोच पर हावी होना व उसको रिऐल्टी समझना
- रोजमर्रा की परेशानियों का सामना करने में परेशानी
- दूसरों की स्थिति को समझने में परेशानी आना
- ड्रग्स लेना या शराब का बहुत ज्यादा सेवन
- खाने की आदतों में बदलाव आना
- सेक्स ड्राइव में बदलाव
- बहुत ज्यादा गुस्सा आना, चीजें तोड़ना, मारना
- आत्महत्या का ख्याल आना या खुद को नुकसान पहुंचाना
कई बार मेंटल डिसऑर्डर के लक्षण फिजिकली भी दिखाई देते हैं। इससे गुजरने वाले व्यक्ति को पेट में दर्द, खाने में दिक्कत, मोशन में दिक्कत, पीठ में दर्द, सिरदर्द जैसी परेशानियां होती हैं।
कब दिखाएं डॉक्टर को
अगर आपको ऊपर लिखे लक्षणों में से कोई एक भी दिखाई दे तो बेहतर यही है कि आप डॉक्टर को दिखाएं। सही डायग्नोज होने पर उसी के मुताबिक इलाज शुरू किया जा सकेगा। यह ध्यान रहे कि इलाज जितनी जल्दी शुरू होगा मरीज के पूरी तरह ठीक होने के चांस भी उतने ही ज्यादा होंगे।