img

डेस्क। दिल्ली में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का पहला मामला मिलने के बाद लोगों के जहन में इसका खतरा आसानी से मापा जा सकता है। यह देश में मंकीपॉक्स का चौथा मामला है क्योंकि मंकीपॉक्स के तीन मामले केरल से पहले ही सामने आ चुके हैं।

आल इंडिया मेडिकल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS), दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए कहा है कि मंकीपॉक्स से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। यह कोविड 19 की तरह संक्रामक नहीं और यह उसकी तरह तेजी से फैलता भी नहीं है। 

आगे उन्होंने बताया है कि इसमें मृत्यु दर बहुत कम है और ज्यादातर मरीज 14-21 दिन में ठीक हो जाते हैं। 99 फीसदी मामलों में मंकीपॉक्स को समलैंगिक पुरुषों में देखा गया है। 

आगे उन्होंने कहा कि दिल्ली सहित देश की स्वास्थ्य व्यवस्था इस तरह की बीमारी को हैंडल करने में पूरी तरह सक्षम है और यह चिंता का बड़ा कारण नहीं है। 

डॉ. एमसी मिश्रा ने कहा कि मंकीपॉक्स दुनिया के 74 देशों में फैल चुका है। अब तक इसके 16,836 मामले देखने को मिले हैं। यह सबसे ज्यादा समलैंगिक पुरुषों में देखा गया है, इसलिए ऐसे समय में शारीरिक संबंधों से बचने की कोशिश करनी चाहिए। जिन लोगों में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई पड़ते हैं, उनसे दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए। हालांकि इससे संक्रमण का खतरा कम है पर सावधानी बरतने की जरूरत है। आगे उन्होंने इसके लक्षण बताते हुए कहा कि इस बीमारी में सबसे पहले चेचक की तरह बुखार आता है और मांसपेशियों में दर्द होने लगता है। 

मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा केस स्पेन में 3125, अमेरिका में 2890, जर्मनी में 2268, ब्रिटेन में 2208 और फ़्रांस में 1567 केसेज मिल चुके हैं। 

भारत की बात करें तो यहां मंकीपॉक्स का पहला मामला केरल में विदेश से आए व्यक्ति में मिला था। इसके बाद केरल में ही एक और मामला भी विदेश से आएं मरीज में मिला। इसका तीसरा मरीज भी केरल से था। पर दिल्ली में सामने आए देश के चौथे मंकीपॉक्स के मरीज के विदेश से आने की कोई जानकारी नहीं है। जिससे यह भी साफ होता है कि यह शारीरिक संबंधों के अलावा अन्य माध्यमों से भी फैल रहा है।