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भारत में पोलियो के मामले की जानकारी को लेकर सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के रवैये पर कई सवाल उठ रहे हैं। मेघालय के पश्चिम गारो हिल्स जिले में दो साल के बच्चे में अगस्त 2023 के पहले हफ़्ते में पोलियो के लक्षण पाए गए थे। स्वास्थ्य मंत्रालय और मेघालय सरकार ने इस मामले की पूरी जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की है, और WHO भी इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा करने से बचता रहा है। यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इस लेख में हम इस मामले के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

WHO और ICMR की रिपोर्ट और उसकी गुप्तता

पोलियो के प्रकार की पुष्टि

डॉ. रोडेरिको एच. ओफ्रीन, WHO के भारत प्रतिनिधि ने बताया कि ICMR-NIV मुंबई यूनिट ने पुष्टि की है कि मेघालय में पाया गया पोलियो टाइप-1 वैक्सीन-डेरिव्ड पोलियोवायरस (VDPV) है। यह रिपोर्ट 12 अगस्त को स्वास्थ्य मंत्रालय, मेघालय सरकार और WHO को दी गई थी। CDC अटलांटा ने भी इसे टाइप 1 VDPV के रूप में पुष्टि की है। यह जानकारी मीडिया में आई है, लेकिन सरकारी स्तर पर आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं की गई है।

बाद के परीक्षणों के निष्कर्ष

ICMR-NIV मुंबई यूनिट द्वारा किए गए फॉलो-अप परीक्षणों और निगरानी से पता चला है कि बच्चे की इम्यूनोलॉजिकल प्रोफाइल सामान्य थी और वायरस के समुदाय में फैलने का कोई प्रमाण नहीं था। इसलिए, यह एक इम्यूनोडेफिशिएंसी से संबंधित वैक्सीन-डेरिव्ड पोलियोवायरस (iVDPV) का मामला नहीं था। बल्कि, यह द्विसंयोजक मौखिक पोलियो वैक्सीन में इस्तेमाल किए गए लाइव, कमजोर टाइप-1 वायरस स्ट्रेन के उत्परिवर्तन के कारण हुआ था। क्योंकि वायरस समुदाय में फैला नहीं था, इसलिए इसे VDPV टाइप-1 और cVDPV टाइप-1 के रूप में नहीं वर्गीकृत किया गया। यह जानकारी हालांकि डाटा से ही पता चलती है, इसे सार्वजनिक तौर पर जारी नहीं किया गया।

WHO की पारदर्शिता में कमी और देरी

सूचना जारी करने में देरी

WHO ने अपनी वेबसाइट पर इस मामले की जानकारी पोस्ट नहीं की है और न ही इस बारे में कोई घोषणा की है। The Hindu द्वारा पूछे गए प्रश्नों का WHO ने जवाब नहीं दिया। ग्लोबल पोलियो इरेडिकेशन इनिशिएटिव (GPEI) ने भी इस मामले के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि WHO और GPEI वैश्विक स्वास्थ्य संगठन के ही अंग हैं, इसलिए दोनों ही संस्थानों की चुप्पी आश्चर्यजनक और निराशाजनक है।

तुलनात्मक विश्लेषण

2022 में, GPEI ने इज़राइल में टाइप-3 सर्कुलेटिंग वैक्सीन-डेरिव्ड पोलियोवायरस (cVDPV3) के मामले की पुष्टि के 10 दिन बाद ही इसकी आधिकारिक घोषणा की थी। इसी तरह, न्यूयॉर्क में टाइप-2 VDPV के मामले की भी तुरंत घोषणा की गई थी। लेकिन मेघालय के मामले में इतनी देरी क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (2005) और प्रश्न चिन्ह

WHO की डिज़ीज़ आउटब्रेक न्यूज़ वेबसाइट कहती है कि अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमों के अनुसार, WHO तीव्र सार्वजनिक स्वास्थ्य घटनाओं के बारे में जानकारी उपलब्ध करा सकता है। फिर मेघालय पोलियो मामले की जानकारी क्यों नहीं दी गई? इसका जवाब जानना बेहद जरुरी है। 2017 में गुजरात में ज़िका वायरस के मामलों की जानकारी WHO ने बहुत जल्दी जारी की थी, लेकिन मेघालय के पोलियो मामले में ये क्यों नहीं हो रहा है?

भारत सरकार की भूमिका और पारदर्शिता की कमी

जानकारी का अभाव और गोपनीयता

स्वास्थ्य मंत्रालय और मेघालय सरकार ने इस मामले की पूरी जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की है। इससे जनता का विश्वास कमज़ोर होता है और आशंका बढ़ती है कि सरकार कुछ छुपा रही है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य पर असर

पोलियो एक गंभीर बीमारी है और इसकी रोकथाम के लिए तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक है। सरकार की ओर से जानकारी को छुपाना इससे निपटने के प्रयासों को कमज़ोर करता है। पारदर्शिता से समुदाय को आवश्यक सावधानियां बरतने में मदद मिल सकती है, लेकिन गोपनीयता इसको रोकती है।

विश्वास और भरोसे पर असर

सरकारी स्तर पर जानकारी न छुपाना और पूरी पारदर्शिता बहुत जरूरी है। इससे जनता में विश्वास बढ़ता है और वे स्वास्थ्य संबंधी नीतियों पर बेहतर अमल कर पाते हैं।

निष्कर्ष

मेघालय के पोलियो मामले में WHO और भारत सरकार की प्रतिक्रिया ने कई चिंताएँ उठाई हैं। पारदर्शिता की कमी से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जांच और कार्रवाई में पारदर्शिता बनाए रखना ज़रूरी है ताकि इस तरह के मामलों का भविष्य में प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके। जनता को सही और समय पर जानकारी देना महत्वपूर्ण है, यह सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन का एक अभिन्न हिस्सा है।

मुख्य बातें:

  • मेघालय में दो साल के बच्चे में पोलियो का मामला सामने आया है।
  • WHO और ICMR ने वायरस की पुष्टि की है, लेकिन सरकारों ने पूरी जानकारी सार्वजनिक नहीं की है।
  • WHO ने इस मामले की जानकारी को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने में देरी की है।
  • पारदर्शिता और समय पर कार्रवाई सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए बहुत जरूरी हैं।
  • सरकार को जनता के साथ पूरी पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए।