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भारत में आधुनिक चिकित्सा शिक्षा के विस्तार और उन्नयन की दिशा में उठाए गए कदमों ने न केवल चिकित्सा सुविधाओं में वृद्धि की है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को भी सुनिश्चित किया है। नए एम्स संस्थानों की स्थापना से लेकर आयुष्मान भारत योजना तक, सरकार द्वारा विभिन्न पहलों ने स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति लाने का प्रयास किया है। यह लेख स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा द्वारा दिए गए हालिया भाषण में उल्लिखित महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालता है और चिकित्सा शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतरीकरण की दिशा में हुई प्रगति का विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

नए एम्स संस्थान और चिकित्सा शिक्षा के मानक

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने देश भर में स्थापित किए जा रहे नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (AIIMS) में शिक्षण और संकाय के मानकों में किसी भी प्रकार के समझौते को अस्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि एम्स संस्थान का ब्रांड नाम बनाए रखना और उसके मानकों को बनाए रखना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

एम्स संस्थानों का विकास और ब्रांडिंग

उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान को पूरी तरह से कार्य करने और विकसित होने में 10 से 20 साल लगते हैं। एम्स-दिल्ली की स्थापना 1960 के दशक में हुई थी, लेकिन 1980 के दशक में ही यह एक ब्रांड नाम बन पाया। इसी तर्ज पर नए एम्स संस्थानों के लिए भी उच्च स्तर के संकाय की नियुक्ति और मानक शिक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। एम्स दरभंगा का भूमि पूजन जल्द ही होने वाला है जबकि एम्स देवघर का काम पूरा हो चुका है और वहां स्टाफ की भर्ती जारी है।

चिकित्सा शिक्षा में नीतिगत हस्तक्षेप

पिछले 10 वर्षों में चिकित्सा शिक्षा को बदलने के लिए कई नीतिगत हस्तक्षेप किए गए हैं। 2017 की स्वास्थ्य नीति को व्यापक और समग्र बनाने का प्रयास किया गया है। पहले उपचारात्मक पहलू पर जोर दिया जाता था, लेकिन अब रोकथाम, प्रचार, उपचार, शमन और पुनर्वास पहलुओं पर ज़ोर दिया जा रहा है, जो एक समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है।

आयुष्मान भारत योजना और निवारक स्वास्थ्य सेवाएँ

सरकार के निवारक स्वास्थ्य सेवा और रोगों के शुरुआती पता लगाने के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, स्वास्थ्य मंत्री ने भारत में 1.73 लाख उच्च गुणवत्ता वाले आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का उल्लेख किया, जो उच्च गुणवत्ता वाले डिजिटल मूल्यांकन से गुज़रते हैं। बिहार में 10,716 आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित किए गए हैं, जहाँ अब तक 8.35 करोड़ लोगों ने आगमन किया है और गैर-संचारी रोगों (NCDs) के लिए 4.36 करोड़ जाँच की गई हैं। झारखंड में 3,825 ऐसी ही सुविधाएँ हैं, जहाँ 2.33 करोड़ लोगों ने आगमन किया है और 2.12 करोड़ NCD जाँच की गई हैं। इन सुविधाओं का ध्यान NCDs के शुरुआती पता लगाने पर केंद्रित है। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 86,797 करोड़ रुपये से ज़्यादा के इलाज को मंज़ूरी दी गई है। 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयुष्मान भारत पीएम-जेएवाई को बढ़ा दिया गया है, जिसमें 5 लाख रुपये तक के स्वास्थ्य लाभ शामिल हैं।

मातृ और शिशु स्वास्थ्य तथा कोविड-19 टीकाकरण

माता और बच्चे के स्वास्थ्य में हुई प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के पहले पाँच वर्षों के शासन में संस्थागत प्रसव 78.9 प्रतिशत से बढ़कर 88.6 प्रतिशत हो गया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत में दुनिया के सबसे बड़े कोविड -19 टीकाकरण कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया गया, जिसमें देश में 220 करोड़ से अधिक खुराक दी गईं। स्वास्थ्य मंत्री ने कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के प्रयासों की प्रशंसा की।

चिकित्सा महाविद्यालयों और एमबीबीएस सीटों में वृद्धि

2014 से पहले 387 की तुलना में अब 766 चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या में 98 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कुल 157 जिला अस्पतालों को चिकित्सा महाविद्यालयों में बदल दिया गया है, जिनमें से आठ बिहार में और पाँच झारखंड में हैं। एमबीबीएस सीटों की संख्या 2014 से पहले 51,348 से बढ़कर अब 1,15,412 हो गई है, जिसमें 125 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। स्नातकोत्तर (पीजी) सीटों में 134 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2014 से पहले 31,185 से बढ़कर अब 73,111 हो गई है। पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (PMCH) को एशिया के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल के रूप में पुनर्विकास किया जा रहा है।

मुख्य बिन्दु:

  • नए AIIMS संस्थानों में उच्च शिक्षा मानकों का अनिवार्य पालन
  • आयुष्मान भारत योजना के द्वारा व्यापक स्वास्थ्य कवरेज
  • मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी और टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता
  • चिकित्सा महाविद्यालयों और एमबीबीएस/पीजी सीटों में अभूतपूर्व वृद्धि
  • निवारक स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर और शुरुआती रोग पहचान पर ध्यान केंद्रित करना