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सम्पादकीय:- मुगल सम्राट अकबर और जोधा बाई के प्रेम की कई कहानियां प्रचलित है सिनेमा से लेकर हर कोई इन दोनों के प्रेम पर बात करते दिख जाता है। भारतीय सिनेमा में इनके प्रेम पर फ़िल्म भी बनी है। इनके रिश्ते को देश की सबसे बड़ी प्रेम कहानी के रूप में जाना जाता है लेकिन वास्तव में जोधा अकबर की पत्नी ही नहीं थी। कुछ इतिहासकारों की गलती के चलते जोधा का नाम अकबर के साथ जोड़ दिया गया और आज तक जोधा को ही अकबर की पत्नी कहा जाता है और इनकीं प्रेम कहानी की चर्चाएं हर ओर है। कई इतिहासकारों ने अपनी किताब में जोधा बाई की जगह हीर कुंवर का नाम लिखा है और इन्हें अकबर ही हिन्दू पत्नी बताया है।

जोधा अकबर की फिल्मों में दिखाई गई कहानी काल्पनिक:-

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जोधा अकबर की जो कहानी आज तक हमे फिल्मों में दिखाई गई है वह काल्पनिक कहानी है। इसे अकबर की उम्दा छवि स्थापित करने के लिए बनाया गया था। क्योंकि अकबर एक ऐसा राजा था जो सिकन्दर की तरह पूरी दुनिया पर अपना राज स्थपित करना चाहता था बस सिकन्दर और अकबर में इतना फर्क था की सिकन्दर अपने उसूलों का पक्का था लेकिन अकबर अपनी जीत के लिए कोई भी तरीका अपना सकता था और किसी भी हद तक जा सकता था। 

राजपूतों को जीतने के लिए अकबर ने बनाई थी यह योजना:-

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लेकिन उसकी दुनिया जीतने के मार्ग में राजपूत सबसे बड़ा रोड़ा बने हुए थे वह सबसे पार पाने की शक्ति रखता था लेकिन राजपूत राजाओं के सामर्थ्य से कही न कही वह खौफ खाता था। अकबर के सलाहकारों ने उसे राजपूतों पर विजय पाने के लिए उनकी बेटियों से सम्बंध बनाने की सलाह दी। अकबर ने अपने सलाहकारों की बताई योजना को माना और राजपूत की बेटियों से विवाह करने की योजना बना ली। 

डर से राजपूत राजा ने अकबर को दी थी अपनी कन्या:-

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जोधा बाई के बारे में प्रचलित है कि वह मेवाड़ के राजा भारमल की पुत्री थी अकबर मेवाड़ पर अपना अधिकार चाहता था जिसके चलते भारमल ने जोधा का विवाह अकबर से किया। इनसे विवाह करने से पूर्व अकबर की कई रानियां थी वह भोग विलासी था उंसे महिलाओं के सौंदर्य से प्रेम था लेकिन जोधा ने उसके इस प्रेम को चूरचूर किया और कई वर्षों तक उसे खुद से दूर रखा व अपने हरम में उसके प्रवेश को प्रतिबंधित रखा।

दिखावे के लिए अकबर करता था जोधा की प्रशंसा;-

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जोधा अकबर की प्रेम कहानी उस समय इस कारण प्रचलित की गई ताकी वह राजपूतों के बीच अपनी उम्दा छवि बना सके और राजपूत मुगलों के साथ अपनी कन्याओं का विवाह करने लगें। वह कई बार लोगो के बीच जोधा बाई की प्रशंसा करता था और उनकी निडरता का उदाहरण सबके सामने प्रस्तुत करता था लेकिन वास्तव में अकबर ऐसा महज अपनी अच्छी छवि बनाने के लिए करता था और पर्दे के पीछे अपनी उन्हीं हरकतों से लबरेज था।