डेस्क। दुनिया भर में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का खतरा बढ़ता जा रहा है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो ये नासूर बनकर लोगों पर बरसेगा। बढ़ते केसों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल (Global Health Emergency) घोषित किया है जिसके बाद से लोगों की चिंताएं और भी बढ़ती जा रही हैं।
वैसे तो स्वास्थ्य विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने लोगों से इसको लेकर सतर्कता बरतने की अपील की है, लेकिन अभी तक यह साफ तौर पटलर सामने नहीं आ सका है कि कोई एसिम्प्टोमैटिक व्यक्ति वायरस को फैला सकता भी है या नहीं।
बता दें कि शनिवार को इस प्रकोप को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेबियस ने कहा, “फिलहाल, ये एक ऐसा प्रकोप है जो केवल पुरुषों के बीच केंद्रित है, जिन्होंने पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाए हैं। खासकर उन लोगों में जिनके कई यौन साथी रहें हैं। इस प्रकोप को सही समूहों में सही रणनीतियों के साथ रोका जाना भी आसान है।”
स्पर्शोन्मुख वाहक (Asymptomatic Carriers) के कोई ज्ञात मामले नहीं हैं, इसलिए अन्य संक्रमणों जैसे कि कोविड -19 या सार्स वायरस (Covid-19 or SARS virus) की तुलना में वायरस के संक्रमण को रोकना बेहद आसान होगा।
आपको बता दें कि अभी मंकीपॉक्स के पीसीआर-आधारित नैदानिक परीक्षण (PCR-based diagnostic tests) भारत में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं।
कुछ साक्ष्यों की माने तो वायरस त्वचा से त्वचा के संपर्क और दूषित शारीरिक तरल पदार्थ जैसे लार, वीर्य और श्वसन बूंदों के माध्यम से और दाने तथा फफोले के माध्यम से फैलता है।
मंकीपॉक्स बीमारी पर पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष (एमएसएम) मोड का खुलासा हुआ है। इसलिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि मंकीपॉक्स मुख्य रूप से यौन संचारित रोग (एसटीआई) नहीं है।