जीवन शैली| आज महिला दिवस है। हर ओर महिलाओं के सशक्तिकरण की बाते होगी। लोग सोशल मीडिया पर महिलाओं की सराहना करेंगे। लेकिन वह वास्तव में सशक्तिकरण के मूल को नही जानते हैं। क्योंकि महिला सशक्तिकरण एक सतत विवेकपूर्ण प्रक्रिया है और महिला दिवस का तब तक कोई औचित्य नही है जब तक की वास्तव में उनकी दशा नही सुधरती। क्योंकि महिला एक नीति है संविधान ने उन्हें अधिकार दिए हैं। हर कोई उसके अशिकारो की बात भी करता है। लेकिन वास्तव में क्या उन्हें उनके अधिकारों की प्राप्ति होती है या उसका औचित्य सिर्फ सोशल मीडिया पर दिखावे हेतु रह गया है।
क्योंकि आज भी यह स्पष्ट है कि महिलाओं को अपने हक के लिए निरंतर संघर्ष करना पड़ रहा है। वह आज भी आर्थिक रुप से पुरुष पर निर्भर है। उन्हें आज भी अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्रता नही प्राप्त है। इसलिए यह आवश्यक है जानना की आज 21 वीं सदी में आने के बाद भी महिला दिवस का औचित्य सिर्फ एक रस्म भर रह गया है जिसने अब दिखावे की दुनिया मे अपना घर बना लिया है। आज वो लोग भी महिलाओं के सम्मान में बड़े बड़े खाखा लिखेंगे और सोशल मीडिया पर महिला सशक्तिकरण की बात करेंगे जो महिलाओं के अधिकार के लिए उनके साथ कभी नही खड़े होते।
महिलाओं के लिए है यह सवाल करने का दिन:-
आज जब हर कोई महिला सशक्तिकरण की बात करे ओर महिलाओं के सम्मान के लिए कुछ करे तो महिलाओं को उसे स्वीकारने से पूर्व उनसे यह सवाल अवश्य करना चाहिए कि यह सम्मान सिर्फ आज क्यों। महिला सशक्तिकरण की बात सिर्फ महिला दिवस पर क्यों। क्या एक दिन के सम्मान से महिला सशक्त हो जाएगी। क्योंकि आज कि महिला को इतनी समझ है कि वह अपने सामने बैठे व्यक्ति से इस एक दिन के सम्मान का कारण पूंछे और अपने अधिकारों के लिए एक कदम आगे बढ़ाए। क्योंकि आपका एक सवाल आपको घरेलू अत्याचारों से निजात दिला सकता है। कामकाजी महिलाएं अपने उत्पीड़न से छुटकारा पा सकती हैं। जिसके बाद ही महिला दिवस की सार्थकता सिद्ध होगी।
आखिर क्यों पुरुष को करना सम्मान का दिखावा:-
आज महिला दिवस के मौके पर हर कोई महिलाओं के सम्मान में बड़े बड़े पोस्ट सोशल मीडिया पर पोस्ट करेंगा। इसमे कई लोग ऐसे भी होंगे जो महिलाओं का सच मे सम्मान करते हैं लेकिन कई लोग ऐसे भी होंगे जो महिलाओ के साथ उनके हक के लिए नही खड़े होते । लेकिन आज वह भी सोशल मीडिया पर उनके सशक्तिकरण की गाथा गायेंगे। लेकिन यदि आप सच मे महिलाओं के सम्मान के लिए खड़े होना चाहते हैं तो दिखावे से दूर हटकर उनके सम्मान के लिए खड़े हो और एक संकल्प के साथ उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास करें। क्योंकि महिला दिवस महिला के सम्मान की कहानी बताता है और यह तब सशक्त होगा जब महिला को सम्मान के लिए किसी दिन की आवश्यकता नही होती।