Home राष्ट्रीय अंधविश्वास: जीवन और मौत का खेल

अंधविश्वास: जीवन और मौत का खेल

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अंधविश्वास: जीवन और मौत का खेल
अंधविश्वास: जीवन और मौत का खेल

राजस्थान के बूंदी जिले में एक नवजात शिशु की हत्या, जिसके पिता ने जादू-टोने के चक्कर में उसे मौत के घाट उतार दिया, ये एक दर्दनाक घटना है जो अंधविश्वास के खतरों को उजागर करती है। यह घटना समाज के उन वर्गों की मानसिकता को भी दर्शाती है, जो अपनी समस्याओं के समाधान के लिए तर्क और विज्ञान को दरकिनार कर अंधविश्वास का सहारा लेते हैं।

बूंदी की घटना: एक बेटे की जान

यह घटना बूंदी जिले के डॉलर गांव में 5 बजे सुबह हुई जब 38 वर्षीय जितेंद्र बैरवा ने अपनी माँ गायत्री के साथ सो रहे अपने 10 महीने के बेटे अंश को उठाकर जमीन पर पटक दिया। अंश की मौत घटनास्थल पर ही हो गई। परिवार अंश को स्थानीय अस्पताल ले गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

पुलिस ने बताया कि जितेंद्र बैरवा ‘बुरी आत्मा’ के प्रभाव से मुक्त होने के लिए एक ओझा के पास जा रहा था और उसने दावा किया कि इसी बुरी आत्मा ने उसे अपने बेटे की हत्या करने के लिए उकसाया। घटना के बाद, जितेंद्र बैरवा को गिरफ्तार कर लिया गया और उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर दिया गया।

जादू-टोने का भ्रम और हिंसा

यह घटना इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे जादू-टोने के भ्रम और अंधविश्वास के प्रभाव के चलते मानव जीवन के प्रति बर्बरता दिखाई दे सकती है। अक्सर ग्रामीण इलाकों में, लोग जादू-टोने और भूत-प्रेतों से डरते हैं और इन मान्यताओं से जुड़ी हानिकारक परंपराओं का पालन करते हैं।

यह घटना सिर्फ़ एक अंधविश्वास से प्रेरित अपराध का मामला नहीं है, बल्कि इसमें अज्ञानता और ज्ञान की कमी का भी एक दर्पण है।

अंधविश्वास का अंधकार: यूपी का दर्दनाक मामला

बूंदी की घटना समाज के अंधविश्वास के चलते हुए एक और दर्दनाक मामले की याद दिलाती है। बुलंदशहर में, एक युवक मोहित की माँ सांप के काटने से उसकी मौत के बाद उसे जिंदा करने की आशा में मोहित के शव को रस्सी से बांधकर गंगा के पानी में लटका गई। अंधविश्वास के इस कर्मकांड को करते हुए मोहित का अंतिम संस्कार कर दिया गया । यह घटना सामाजिक जागरूकता के अभाव को दर्शाती है, जिसकी वजह से कुछ लोग अंधविश्वास को विज्ञान और तर्क से ऊपर रखते हैं।

ज्ञान का प्रकाश: आगे क्या?

ये दर्दनाक घटनाएं हम सभी को ज्ञान और तर्क पर आधारित एक समझदार समाज बनाने की आवश्यकता पर जोर देती हैं। हमारे समाज को इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि विज्ञान और तर्क हमारी समाज के सबसे बड़े शस्त्र हैं और इनसे हिंसा, अंधविश्वास और बर्बरता का समाधान हो सकता है।

अंधविश्वास के ख़िलाफ़ लड़ाई

बूंदी की घटना को समझने के लिए हमें समझना होगा कि अंधविश्वास कैसे पैदा होता है और उसे खत्म कैसे किया जा सकता है।

  • ज्ञान का प्रसार: सबसे महत्वपूर्ण बात है कि लोगों में विज्ञान और तर्क की समझ बढ़ानी होगी। शिक्षा और जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को अंधविश्वास के ख़िलाफ़ बात करना होगा और ज्ञान का प्रसार करना होगा।

  • समझ और संवेदनशीलता: इस तथ्य को समझना जरूरी है कि कुछ लोग अंधविश्वास का शिकार हो सकते हैं क्योंकि वे समझ नहीं पाते हैं या वो समस्याओं का समाधान खोज रहे हैं। संवेदनशीलता और समझ के साथ उनकी समस्याओं को समझना जरूरी है और उन्हें वैज्ञानिक और तार्किक उपायों की समझ बढ़ानी होगा।

  • सामाजिक न्याय: समाज के कमजोर वर्गों को समाज की मुख्य धारा में लाना और उनके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के अवसर बढ़ाना अत्यंत जरूरी है। जिन लोगों के पास साधन नहीं हैं, वे अंधविश्वास का शिकार हो सकते हैं क्योंकि वे अन्य वैज्ञानिक उपायों के पास नहीं हैं।

टेक अवे पॉइंट्स

  • बूंदी और बुलंदशहर की घटनाएं अंधविश्वास के खतरों को दर्शाती हैं, जो मानव जीवन के लिए खतरा हैं।

  • समाज को ज्ञान और तर्क का प्रसार करना होगा और अंधविश्वास को ख़त्म करने के लिए काम करना होगा।

  • समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक न्याय का प्रसार करके अंधविश्वास का खतरा कम किया जा सकता है।

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