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अलगावादियों की खुली पोल, कश्मीरी युवाओं को बनाया पत्थरबाज, अपने बच्चों को किया विदेश में सैटल

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अलगावादियों की खुली पोल, कश्मीरी युवाओं को बनाया पत्थरबाज, अपने बच्चों को किया विदेश में सैटल

नई दिल्ली ।हुर्रियत नेताओं समेत घाटी के 112 अलगाववादियों और उनसे सहानुभूति रखने वालों के कम से कम 220 बच्चे विदेश में पढ़ते या रहते हैं। गृह मत्री अमित शाह की अगुवाई में मोदी सरकार का पूरा फोकस जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर नकेल और अलगाववादियों की पोल खोलने का है।

इसी अभियान के तहत अमित शाह के निर्देशों पर अलगाववादियों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की गई।

यानि कश्मीर के युवाओं के हाथों में पत्थत पकड़ाने वाले इन अलगाववादियों को विदेश में ऐशो आराम की जिंदगी दी हुई है। सूत्रों के अनुसार तहरीक-ए-हुर्रियत के चेयरमैन अशरफ सेहराई के 2 बेटे खालिद और आबिद अशरफ सऊदी अरब में काम करते हैं।

ये दोनों लड़के वहीं बसे भी हुए हैं। जमात-ए-इस्लामी के सदर गुलाम मुहम्मद बट का बेटा सऊदी अरब में डॉक्टर है।दुख्तरान-ए-मिल्लत की आसिया अंद्राबी के 2 बेटे विदेश में पढ़ते हैं।

उनका बेटा मुहम्मद बिन कासिम मलयेशिया और अहमद बिन कासिम ऑस्ट्रेलिया में पढ़ता है। इसी तरह, सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नीलम गिलानी ने हाल ही में पाकिस्तान में एमबीबीएस कोर्स पूरा किया है।

गृह मंत्रालय की सूची के मुताबिक मोहम्मद शफी रेशी का बेटा अमेरिका में पीएचडी कर रहा है। इसी प्रकार लाया (तहरीक ए हुर्रियत) की बेटी पाकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई कर रही है।

इसी सूची में जहूर गिलानी (तहरीक ए हुर्रियत) का नाम है जोकि सैयद अली शाह का दामाद है। वह सऊदी अरब में एयरलाइंस में काम करता है। मीरवाइज उमर फारूक (हुर्रियत के चेयरमैन) की बहन अमेरिका में रहती है।

ध्यान देने की बात है कि गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में अलगाववादी नेताओं के इस पाखंड का खुलासा किया था। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने बताया था कि पिछले 70 सालों में किस तरह कश्मीर में आम आवाम को जरूरी सहूलियतों से भी मरहूम रखा गया।

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