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जनरल रावत ने फील्ड मार्शल जनरल करियप्पा के लिए मांगा भारत रत्न

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जनरल रावत ने फील्ड मार्शल जनरल करियप्पा के लिए मांगा भारत रत्न

 

 

थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को आज़ाद भारत के पहले थलसेना अध्यक्ष फील्ड मार्शल जनरल के एम करियप्पा को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मनित करने की वकालत की.

जनरल रावत ने कहा, ‘फील्ड मार्शल करियप्पा को भारत रत्न से सम्मानित करने की अनुशंसा का वक्त आ गया है. यदि दूसरों को ये मिल सकता है तो मुझे कोई वजह नज़र नहीं आती कि उन्हें ये क्यों नहीं मिलना चाहिए. वो इसके योग्य हैं. हम प्राथमिकता के आधार पर जल्द ही इस मामले को देखेंगे.’

थलसेना प्रमुख ने ये टिप्पणी उस वक्त की जब ‘दि फील्ड मार्शल करियप्पा जनरल थिमैया’ (एफएमसीजीटी) फोरम से जुड़े कर्नल के सी सुबैया ने ‘भारत रत्न’ के लिए करियप्पा के नाम की सिफारिश करने का अनुरोध किया. करियप्पा मूल रूप से कर्नाटक के कोडागू जिले के रहने वाले थे.

कोडागू (जिसे पहले कुर्ग कहा जाता था) को योद्धाओं की भूमि करार देते हुए रावत ने कहा कि उन्हें फील्ड मार्शल करियप्पा और जनरल के एस थिमैया की स्मृति में बनाए गए स्मारकों के अनावरण का अवसर प्राप्त होने पर गर्व है.जनरल रावत ने कहा कि कोडागू के रहने वाले लोग थलसेना में बड़ी संख्या में अधिकारियों और जवानों के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘भविष्य में कई और सेना प्रमुखों का उदय इस महान भूमि से होगा.’ करियप्पा भारतीय थलसेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ थे और उन्हें 28 अप्रैल 1986 को फील्ड मार्शल की रैंक दी गई थी.

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानियों के खिलाफ बर्मा के अभियान में अपनी भूमिका के लिए करियप्पा को प्रतिष्ठित ‘ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर (ओबीई) से सम्मानित किया गया था. साल 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी उन्होंने पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय बलों की अगुवाई की थी. उन्हें भारतीय थलसेना के सर्वोच्च सम्मान फील्ड मार्शल के पांच सितारा रैंक से नवाज़ा गया था. उनके अलावा, फील्ड मार्शल मानेकशॉ को ही अब तक इस सम्मान से नवाजा गया है.

साल 1993 में 94 वर्ष की उम्र में जनरल करियप्पा का निधन हो गया था.

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