Home राष्ट्रीय प्रशांत किशोर: बिहार की राजनीति का नया चेहरा?

प्रशांत किशोर: बिहार की राजनीति का नया चेहरा?

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प्रशांत किशोर: बिहार की राजनीति का नया चेहरा?
प्रशांत किशोर: बिहार की राजनीति का नया चेहरा?

प्रशांत किशोर की बढ़ती हुई सक्रियता बिहार की राजनीति में धीरे-धीरे पांव जमा रही है, और साथ ही उनकी राजनीतिक मंशा भी स्पष्ट होती जा रही है। उनके निशाने पर सबसे पहले आरजेडी नेता तेजस्वी यादव हैं, और बाद में नीतीश कुमार।

प्रशांत किशोर की राजनीतिक रणनीति: निशाने पर तेजस्वी और नीतीश?

प्रारंभ में, प्रशांत किशोर ने अपने हमले ज्यादातर नीतीश कुमार के नाम का उपयोग करके किए। उन्होंने नीतीश के शासनकाल को पहले के डेढ़ दशक के लालू-राबड़ी शासन के साथ जोड़ा। बाद में उन्होंने नीतीश के बजाय, तेजस्वी यादव पर व्यंग्यपूर्ण हमले करने लगे, जैसे “नौंवी फेल” कहकर। ये एक सूक्ष्म तरीका है, राजनीति में संदेश देने का।

आरजेडी के अंदर प्रशांत किशोर का असर

बिहार आरजेडी में भी प्रशांत किशोर के बढ़ते हुए प्रभाव का अहसास किया गया है। आरजेडी अध्यक्ष ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रशांत किशोर से सावधान रहने के लिए आगाह किया। यह स्थिति UP में मायावती द्वारा दलित समुदाय को भीम आर्मी वाले चंद्रशेखर आजाद से सतर्क रहने के आग्रह जैसी है। बावजूद इसके, आजाद संसद पहुँच चुके हैं।

जाति और राजनीति का खेल

प्रशांत किशोर को घेरने के लिए उनकी जाति (ब्राह्मण) का बार-बार उपयोग किया जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर के विरोधी उन्हें जातीय राजनीति में घसीट कर, उन्हें कमजोर करना चाहते हैं। नीतीश और तेजस्वी दोनों ने बिहार में जातीय जनगणना कराई, लेकिन नीतीश के बीजेपी में चले जाने के बाद से, तेजस्वी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ मिलकर जातीय जनगणना के लिए आंदोलन कर रहे हैं।

ब्राह्मण विरोध का सामना

प्रशांत किशोर इन हमलों का सामना करते हुए सवाल पूछते हैं कि अगर नीतीश (कुर्मी जाति से) नेता बन सकते हैं तो ब्राह्मण क्यों नहीं? वो इस तर्क को खारिज करते हैं कि संविधान सवर्णों को राजनीतिक भागीदारी से वंचित करता है। वो कहते हैं कि जातिवादी राजनीति से दूर रहने के बावजूद, उनके विरोधी उनकी जाति पर सवाल उठा रहे हैं।

महिलाओं और मुस्लिमों के वोट बैंक पर दांव

प्रशांत किशोर ने पहले महिलाओं को टिकट देने की बात कही थी। अब, वो मुस्लिम वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए जन सुराज के जरिए 40 मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा करने की घोषणा कर चुके हैं।

महिला कार्ड

नीतीश कुमार बिहार में महिला वोट बैंक को हमेशा अपने साथ रखने की कोशिश करते हैं। प्रशांत किशोर द्वारा महिलाओं को 40 टिकट देने का वादा नीतीश को चुनौती देने की एक कोशिश है।

मुस्लिम कार्ड

बिहार में मुस्लिम वोट लंबे समय से आरजेडी के साथ है। प्रशांत किशोर का मुस्लिम उम्मीदवारों को आगे लाना, तेजस्वी और आरजेडी को नुकसान पहुँचाने की एक रणनीति मानी जा रही है। प्रशांत किशोर की टीम में भी 4-5 मुस्लिम नेताओं को शामिल किया जाएगा।

आरजेडी के मुस्लिम वोटर को लुभाने की कोशिश

2020 में असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने बिहार में 5 सीटें जीतीं, जिससे आरजेडी को चिंता हुई। ओवैसी ने बाद में 4 AIMIM विधायकों को आरजेडी में शामिल करा दिया था। प्रशांत किशोर मुस्लिम समुदाय के असंतुष्ट लोगों को आरजेडी से अलग कर, अपने साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं।

आरजेडी का आरोप: पीके बीजेपी की बी टीम

आरजेडी नेता जगदानंद सिंह ने प्रशांत किशोर पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाया है।

क्या जगदानंद सिंह के आरोप में दम है?

आरजेडी का मानना है कि अगर प्रशांत किशोर मुस्लिम वोटों को बांट देते हैं, तो उससे बीजेपी को फायदा होगा। यह बात यूपी के 2022 के चुनाव और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के दौरान मायावती को लेकर हुई आलोचनाओं जैसी है। मायावती पर भी कांग्रेस द्वारा बीजेपी का अघोषित प्रवक्ता होने का आरोप लगाया गया था।

सवाल यह है कि क्या प्रशांत किशोर का मुस्लिम कार्ड केवल आरजेडी को कमजोर करने की रणनीति है? या उन्हें कोई और लक्ष्य है?

प्रशांत किशोर आरजेडी के मुस्लिम वोटों को अलग करने के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वह यह रणनीति सिर्फ आरजेडी को कमजोर करने के लिए अपना रहे हैं या उन्हें कोई और राजनीतिक मंशा है।

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