Home राष्ट्रीय शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने के पीछे का सच: क्या हुआ गलत?

शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने के पीछे का सच: क्या हुआ गलत?

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शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने के पीछे का सच: क्या हुआ गलत?
शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने के पीछे का सच: क्या हुआ गलत?

छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के ढहने के बाद, महाराष्ट्र में सियासी घमासान छिड़ा हुआ है. यह घटना राजनीतिक विवादों और मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया में शामिल लोगों की भूमिका पर सवाल उठाने का विषय बन गई है. इस मामले में मूर्ति की ऊंचाई, निर्माण सामग्री और अनुमोदन प्रक्रिया के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है.

महाराष्ट्र कला निदेशालय की भूमिका

महाराष्ट्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रसिद्ध और ऐतिहासिक शख्सियतों की मूर्ति निर्माण के लिए प्रोफेसर राजीव मिश्रा की अध्यक्षता वाले महाराष्ट्र कला निदेशालय से अनुमोदन लेना अनिवार्य है. विभाग का प्रमुख कार्य यह सुनिश्चित करना है कि मूर्ति उस व्यक्ति से मिलती-जुलती हो जिसकी मूर्ति बनाई जा रही है. विभाग की भूमिका चेहरे के हाव-भाव, शारीरिक अनुपात, कलात्मक विशेषताओं और समानता को मंजूरी देना है.

मूर्ति निर्माण की अनुमोदन प्रक्रिया

यह विभाग मूर्ति बनाने में उपयोग की जाने वाली सामग्री या ऊंचाई के बारे में कोई नियम या दिशानिर्देश निर्धारित नहीं करता है. विभाग में विशेषज्ञों और इतिहासकारों की एक समिति होती है जो मूर्ति की प्रारंभिक डिजाइन की जांच करती है और समानता को सत्यापित करती है. यह विभाग मूर्ति निर्माण कार्य की निगरानी नहीं करता है, यह जिम्मेदारी निर्माण एजेंसी की होती है.

मूर्ति निर्माण के लिए अनुमोदन

मूर्ति के निर्माण के लिए, कलाकार जयदीप आप्टे ने छत्रपति शिवाजी महाराज की मिट्टी से बनी 6 फीट ऊंची मूर्ति बनाई थी. महाराष्ट्र कला निदेशालय द्वारा समानता परीक्षण को मंजूरी मिलने के बाद, भारतीय नौसेना को मूर्ति निर्माण की अनुमति दी गई. हालांकि, मूर्ति की ऊंचाई बाद में बढ़ाकर 35 फीट कर दी गई और इसे मिट्टी के बजाय स्टेनलेस स्टील और अन्य सामग्रियों से बनाया गया. यह बदलाव बिना विभाग के जानकारी के किया गया.

नौसेना की भूमिका

मूर्ति का निर्माण कार्य भारतीय नौसेना के निर्देशन में किया गया था. नौसेना ने इस प्रोजेक्ट के लिए एक स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट (चेतन पाटिल) नियुक्त किया था जो मूर्ति की स्थापना की स्थिरता के लिए ज़िम्मेदार था. यह चेतन पाटिल ही है जिस पर मूर्ति के निर्माण में खामियां और गुणवत्ता नियंत्रण में लापरवाही के आरोप लगाए गए हैं.

सियासी प्रतिक्रिया

मूर्ति के ढहने के बाद से, विपक्षी दल घोटाले के आरोप लगाते हुए महाराष्ट्र सरकार से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. उन्होंने सरकार पर भ्रष्टाचार, गुणवत्ता में कमी और मूर्ति निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ियों का आरोप लगाया है. इस मामले की जाँच प्रभावित क्षेत्र की जवाबदेही और भविष्य में इस प्रकार की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम होंगे.

Takeaways:

  • छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के ढहने के कारण सामने आए विवादों के केंद्र में मूर्ति की ऊंचाई, निर्माण सामग्री और मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया है.
  • महाराष्ट्र कला निदेशालय मूर्ति की समानता को मंजूरी देता है लेकिन मूर्ति निर्माण में उपयोग की जाने वाली सामग्री या ऊंचाई को नियंत्रित नहीं करता.
  • मूर्ति का निर्माण भारतीय नौसेना के द्वारा किया गया था जिसने मूर्ति की स्थापना की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक स्ट्रक्चरल कंसलटेंट नियुक्त किया था.
  • इस घटना ने सरकारी एजेंसियों की जवाबदेही और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में गुणवत्ता नियंत्रण के महत्व पर सवाल उठाए हैं.
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