Republic Day 2023:- जानें क्या कहती है संविधान की प्रस्तावना

Republic Day:- 26 जनवरी 1950 को भारत को संविधान राष्ट्र बनाया गया। 24 जनवरी को संविधान के ड्राफ्ट पर संविधान सभा के सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर हुए। भारतीय संविधान ने लोगों को आजादी का मूल अर्थ बताया और लोगों को उनके मौलिक अधिकार और देश के प्रति उनके कर्तव्यों से बंधा दिया।
लेकिन भारत के संविधान की शुरुआत प्रस्तावना से हुई है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना स्वयं में बहुत कुछ समेटे हुए हैं और लोगों को एकता और मानवता का पाठ पढ़ती है। प्रस्तावना का एक एक शब्द लोगों की स्वतंत्रता और समाज हित की ओर इशारा करता है। प्रस्तावना का मूल अर्थ समझने से पूर्व हम समझते हैं क्या है प्रस्तावना..
जानें क्या है भारत के संविधान की प्रस्तावना--
हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी , पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को:
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, श्रद्धा और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए,
तथा उन सब में,
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित कराने वाली, बन्धुता बढ़ाने के लिए,
दृढ़ संकल्पित होकर अपनी संविधानसभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई॰ (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
प्रस्तावना का अर्थ-
संविधान की प्रस्तावना के मुताबिक भारत मे जन्म प्रत्येक व्यक्ति चाहें वह किसी भी समुदाय, वर्ग या जाति से आता हो वह भारतीय है। भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है। प्रत्येक व्यक्ति का पास यह अधिकार के की वह सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में काम कर सकता है। वहीं भारत मे सरकार चुनने की शक्ति लोगों के पास होगी। यानी भारत मे जनता सर्वशक्तिमान है।
किसी भी व्यक्ति के साथ आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक तौर पर न्याय में दुर्व्यवहार नही होगा। यानी कानून सभी को समान भाव से देखेगा। भारत के प्रत्येक व्यक्ति के पास अपनी इच्छा अनुसार धर्म अपनाने, पूजा करने और अपने धर्म का प्रचार प्रसार करने की स्वतंत्रता होगी।
कोई भी व्यक्ति भेदभाव का शिकार नही होगा और किसी को अवसरों से वंचित न रखते हुए। भारत की एकता बनाए रखते हुए सभी लोग भाईचारे के साथ अपना जीवन यापन करेंगे।
प्रस्तावना के चार मुख्य शब्द सार्वभौम, समाजवादी, धर्म निरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणतंत्र हैं। यह भारतीय संविधान की रीढ़ कहें गए हैं।