चक्रवात दाना ओडिशा तट पर आ पहुँचा और इससे राज्य के कई जिलों में भारी वर्षा और तेज हवाएँ चलीं। यह चक्रवात ओडिशा के उत्तरी भागों में पहुँचने के बाद कमज़ोर पड़ गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शुक्रवार को एक अपडेट में कहा कि चक्रवात ने केन्द्रपा जिले के भीतरकनिका और भद्रक जिले के धमरा के बीच तटीय ओडिशा में प्रवेश किया, जिससे 110 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से तेज हवाएं और भारी वर्षा हुई। भद्रक, केंद्रपाड़ा, बालेश्वर और जाजपुर में तूफ़ान का सबसे ज़्यादा प्रकोप देखने को मिला। भद्रक जिले में तेज हवाओं के कारण पेड़ उखड़ गए, जबकि लगातार बारिश के कारण कई सड़कें जलमग्न हो गईं। IMD के अनुसार, चक्रवात दाना उत्तर-पश्चिम दिशा में 7 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ रहा था और भद्रक से 40 किमी दूर स्थित था। IMD ने अपने नवीनतम बुलेटिन में बताया कि छह घंटे के अंदर यह एक गहरे अवसाद में कमज़ोर पड़ने की उम्मीद है।
चक्रवात दाना का प्रभाव
भारी वर्षा और तेज हवाएँ
चक्रवात दाना के कारण ओडिशा के कई इलाकों में भारी बारिश हुई और 100-110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलीं। इससे पेड़ उखड़ गए, सड़कें जलमग्न हो गईं और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। IMD ने भारी वर्षा की चेतावनी जारी की थी और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी थी। इसके प्रभाव से ओडिशा के उत्तरी भागों में सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है।
जनहानि से बचाव और बचाव कार्य
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने बताया कि राज्य ने ‘ज़ीरो कैजुअल्टी मिशन’ प्राप्त किया है क्योंकि चक्रवात से किसी के मारे जाने या घायल होने की कोई सूचना नहीं मिली है। इस सफलता के पीछे सरकार द्वारा किए गए व्यापक बचाव प्रयासों की अहम भूमिका है। लगभग छह लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था, और प्रशासन ने लगातार निगरानी रखी और राहत और बचाव कार्यों में तेजी से काम किया।
परिवहन व्यवस्था पर प्रभाव
उड़ानों और ट्रेनों का रद्द होना
चक्रवात दाना के कारण ओडिशा और पश्चिम बंगाल में 750 से अधिक ट्रेनें और 400 से अधिक उड़ानें रद्द कर दी गईं थीं। भुवनेश्वर और कोलकाता के हवाई अड्डों पर उड़ानें कुछ समय के लिए रोक दी गई थीं। यह चक्रवात के कारण होने वाले भारी नुकसान और यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया। यात्रा योजना बनाने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
सड़क मार्गों पर प्रभाव
भारी वर्षा और तेज हवाओं के कारण ओडिशा के कई इलाकों में सड़क मार्ग भी प्रभावित हुए। कई सड़कें जलमग्न हो गईं, जिससे आवागमन में बाधा उत्पन्न हुई। यह प्रभाव कुछ दिनों तक जारी रहा, जिससे लोगों को अपनी यात्राओं को स्थगित करना पड़ा और आपूर्ति श्रृंखला भी प्रभावित हुई।
सरकार की तैयारी और बचाव कार्य
पहले से ही किए गए प्रबंध
ओडिशा सरकार ने चक्रवात दाना से निपटने के लिए पहले से ही व्यापक तैयारियाँ की थीं। छह लाख से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। राहत और बचाव दल पहले से ही तैनात थे और लगातार निगरानी रखी जा रही थी। मौसम विभाग द्वारा जारी चेतावनियों का असरदार उपयोग करके जनता को पहले से ही सतर्क किया गया था।
आपदा प्रबंधन में सहयोग
चक्रवात दाना के कारण ओडिशा और पश्चिम बंगाल में प्रशासनिक तंत्र और आपदा प्रबंधन संगठनों को समन्वित रूप से काम करना पड़ा। राहत और बचाव कार्यों में सेना, अर्धसैनिक बल और स्थानीय प्रशासन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से भी मदद माँगी गई थी और प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुँचाई गई।
मुख्य बिन्दु:
- चक्रवात दाना ओडिशा तट पर आया और भारी बारिश और तेज हवाएं चलीं।
- ओडिशा सरकार ने ‘ज़ीरो कैजुअल्टी मिशन’ हासिल किया।
- परिवहन व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई, उड़ानें और ट्रेनें रद्द हुईं।
- सरकार ने पहले से ही व्यापक तैयारी कर रखी थी और राहत और बचाव कार्य किए गए।
- चक्रवात के प्रभाव से निपटने के लिए कई संगठनों ने मिलकर काम किया।