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भारत का 76वाँ गणतंत्र दिवस: इतिहास, परंपराएँ और राजनीति

क्या आप जानते हैं कि भारत ने अपने गणतंत्र दिवस समारोह में दो बार पाकिस्तान को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था? यह सुनकर आपको हैरानी हो सकती है, लेकिन यह सच है! आइये जानते हैं इस रोमांचक और विवादित इतिहास के बारे में, जो भारत और पाकिस्तान के जटिल संबंधों पर प्रकाश डालता है। इस लेख में हम गणतंत्र दिवस की परंपराओं, मुख्य अतिथि के चयन के मानदंड, और भारत-पाकिस्तान संबंधों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

पाकिस्तान: दो बार गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि

1955 और 1965 में, पाकिस्तान को भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने का सम्मान मिला। 1955 में, पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद और 1965 में, पाकिस्तान के कृषि मंत्री राना अब्दुल हामिद इस सम्मान के प्राप्तकर्ता थे। यह एक ऐसा कदम था जिसने भारत की शांति और मैत्रीपूर्ण संबंधों की इच्छा को दर्शाया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सम्मान के बावजूद, दोनों वर्षों में 6 महीने के अंदर ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया?

1965 का भारत-पाक युद्ध: दोस्ती का हाथ या धोखा?

गणतंत्र दिवस के बाद हुए 1965 के युद्ध ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या भारत की दोस्ती का यह इशारा पाकिस्तान द्वारा सही समझा गया था या इसने अपनी नापाक नीतियों को आगे बढ़ाया? इस युद्ध के परिणामों ने न केवल दोनों देशों पर अपनी छाप छोड़ी, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी एक नया अध्याय जोड़ा। इस घटना ने दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी को उजागर किया।

गणतंत्र दिवस मुख्य अतिथि का चयन: एक रणनीतिपूर्ण कदम

गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि केवल एक सम्मानित मेहमान नहीं होता, बल्कि वह भारत के साथ राजनीतिक, आर्थिक, और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। तो, मुख्य अतिथि का चयन किस प्रकार होता है? इस प्रक्रिया में कई कारक शामिल हैं:

राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध

यह निर्णय लेने में सबसे महत्वपूर्ण पहलू दोनों देशों के बीच मौजूदा संबंध होते हैं। मजबूत संबंधों वाले देशों के नेताओं को तरजीह दी जाती है। यह कदम दो देशों के बीच बढ़ते सहयोग और विश्वास को दर्शाता है।

आर्थिक और रक्षा सहयोग

आर्थिक और रक्षा संबंध भी मुख्य अतिथि के चयन में अहम भूमिका निभाते हैं। यदि भारत और किसी देश के बीच आर्थिक और रक्षा क्षेत्रों में मजबूत संबंध हैं, तो उस देश के प्रमुख को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने की अधिक संभावना होती है।

वैश्विक संदर्भ

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और वैश्विक मंच पर भारत का प्रभाव भी इस फैसले को प्रभावित करते हैं। रणनीतिक साझेदारों को आमंत्रित करने से भारत उन संबंधों को और मजबूत कर सकता है। उदाहरण के लिए, 2015 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को आमंत्रित किया गया था।

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध

साझा संस्कृति और इतिहास के बंधन भी महत्वपूर्ण हैं। यदि किसी देश के साथ सांस्कृतिक या ऐतिहासिक संबंध अच्छे हैं, तो उसे प्राथमिकता दी जा सकती है।

सबसे ज़्यादा आमंत्रित देश: फ्रांस

अब तक, फ़्रांस के नेताओं को गणतंत्र दिवस समारोह में सबसे ज़्यादा बार मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। यह दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे मज़बूत रिश्तों को दिखाता है, खासकर रक्षा और तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में।

मुख्य बातें

  • भारत ने 1955 और 1965 में पाकिस्तान को गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि बनाया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ गया था।
  • मुख्य अतिथि का चयन विभिन्न कारकों पर आधारित होता है, जिसमें राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध, आर्थिक सहयोग, वैश्विक संदर्भ और सांस्कृतिक संबंध शामिल हैं।
  • फ्रांस को गणतंत्र दिवस में सबसे ज़्यादा बार मुख्य अतिथि बनने का सम्मान मिला है।