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ईशा फाउंडेशन के संबंध में चल रही जांच में तमिलनाडु पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी प्रतिवाद याचिका में गंभीर आरोप लगाए हैं। पुलिस का दावा है कि इस फाउंडेशन से कई लोग लापता हुए हैं जिनका पता नहीं चल पा रहा है। पुलिस ने यह भी कहा है कि इसा योग केंद्र से लापता लोगों से जुड़े कई मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा, पुलिस ने आरोप लगाया है कि ईशा फाउंडेशन परिसर में ‘कालाभैरवर थागण मंडपम’ नाम से एक श्मशान घाट है और फाउंडेशन के अस्पताल भी कानून के अनुसार कार्य नहीं कर रहे हैं। पुलिस ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में एक्सपायरी डेट गुज़र चुकी दवाइयाँ दी जा रही हैं। यह मामला बेहद गंभीर है और इसे गहराई से समझने की आवश्यकता है।

ईशा फाउंडेशन में लापता व्यक्तियों का मामला

लापता व्यक्तियों की संख्या और जांच की स्थिति

कोयंबटूर जिले के पुलिस अधीक्षक के. कार्तिकेयन द्वारा दायर 23 पन्नों की रिपोर्ट में पुलिस ने दावा किया है कि पाठ्यक्रम के लिए आए कई लोग लापता हुए हैं। पुलिस ने बताया कि लगभग छह लोग परिसर से लापता हैं। हालाँकि, पाँच मामलों को बंद कर दिया गया क्योंकि आगे की कार्रवाई रोक दी गई थी। एक मामला अभी भी जांच के अधीन है क्योंकि उस व्यक्ति का पता नहीं चल पाया है। यह आंकड़ा चिंता का विषय है और पुलिस को इस मामले में और गहनता से जांच करने की आवश्यकता है। लापता व्यक्तियों के परिजनों को न्याय दिलाना भी आवश्यक है।

पुलिस की कार्यप्रणाली पर सुप्रीम कोर्ट का सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के परिसर में तमिलनाडु पुलिस के प्रवेश पर सवाल उठाया था, जो कुछ गलत कामों की सूचना के आधार पर हुआ था। इससे पहले, दो साध्वी बहनों के पिता ने एक मामला दायर किया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उनकी बेटियों को परिसर में हिरासत में रखा गया था और उन्हें अपने माता-पिता से मिलने की अनुमति नहीं थी। हालाँकि, पुलिस ने अपने बयानों के आधार पर आश्वासन दिया है कि साध्वियाँ स्वेच्छा से वहाँ रह रही हैं और नियमित रूप से अपने माता-पिता के संपर्क में हैं। मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जाँच होनी चाहिए जिससे सच्चाई सामने आ सके।

ईशा फाउंडेशन के अस्पताल और श्मशान घाट पर आरोप

अस्पताल में एक्सपायरी दवाओं का उपयोग

पुलिस के आरोप के मुताबिक, ईशा फाउंडेशन के अस्पताल में एक्सपायरी डेट गुज़र चुकी दवाइयाँ दी जा रही हैं, जो गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। यह बेहद गंभीर आरोप है और इस मामले की तुरंत जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को दंड दिया जा सके। इस तरह की लापरवाही से बचा जाना चाहिए और मरीजों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना अत्यंत जरूरी है।

परिसर में श्मशान घाट की मौजूदगी

पुलिस का यह भी आरोप है कि ईशा फाउंडेशन परिसर में एक श्मशान घाट है, जिससे कई सवाल उठते हैं। श्मशान घाट की मौजूदगी का क्या महत्व है और इसका संचालन कैसे किया जाता है? इस मामले में भी पूरी तरह से पारदर्शिता की आवश्यकता है। सभी पहलुओं की जांच करके ही इस मामले पर निष्कर्ष निकाला जा सकता है।

POCSO का मामला और अन्य आरोप

एक कर्मचारी के खिलाफ POCSO का मामला

3 सितंबर को ईशा फाउंडेशन के एक कर्मचारी, डॉ. सारवनमोर्थी के खिलाफ यौन उत्पीड़न (POCSO) का मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि उसने नियमित जाँच के दौरान छोटी स्कूली बच्चियों को गलत तरीके से छुआ। यह एक बेहद गंभीर अपराध है और इसके लिए कठोर सज़ा होनी चाहिए। बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हम सबकी ज़िम्मेदारी है।

अन्य आरोप और भविष्य की कार्रवाई

इसके अलावा, अन्य कई आरोप भी हैं जिनकी जांच की जानी बाकी है। सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले की गंभीरता को समझते हुए आगे की कार्रवाई करेगा। ईशा फाउंडेशन को भी पूरी तरह से सहयोग करना चाहिए ताकि जांच में कोई बाधा न आए। सच्चाई सामने आनी चाहिए और दोषी व्यक्तियों को सज़ा मिलनी चाहिए।

Takeaway Points:

  • ईशा फाउंडेशन पर लापता व्यक्तियों, अस्पताल में एक्सपायरी डेट वाली दवाओं के प्रयोग, परिसर में श्मशान घाट होने और POCSO मामले से जुड़े गंभीर आरोप लगे हैं।
  • तमिलनाडु पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में 23 पन्नों की रिपोर्ट दाखिल की है जिसमें इन आरोपों का ब्योरा दिया गया है।
  • सुप्रीम कोर्ट इस मामले की जांच की गंभीरता को समझते हुए आगे की कार्रवाई करेगा।
  • इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।