कंगना की "इमरजेंसी": इंदिरा गांधी की कहानी या राजनीतिक चाल?
क्या आप जानते हैं कंगना रनौत की बहुप्रतीक्षित फिल्म "इमरजेंसी" बॉक्स ऑफिस पर लड़खड़ा रही है? यह फिल्म जिस तरह की उम्मीदें जगा रही थी, उससे बिल्कुल विपरीत है! क्या यह एक राजनीतिक बयान है जिसने उलटी गिनती शुरू कर दी है या फिर कंगना ने कुछ ऐसा कर दिया है जो किसी ने सोचा भी नहीं होगा? आइये इस रहस्य से पर्दा उठाते हैं!
इंदिरा गांधी: हीरो या विलेन?
फिल्म "इमरजेंसी" में इंदिरा गांधी को एक मजबूत और दृढ़ नेता के रूप में पेश किया गया है, उनकी व्यक्तिगत चुनौतियों पर ज़ोर दिया गया है। फिल्म ने इंदिरा के बचपन की मुश्किलों, उनके पिता से दूरियों और राजनीतिक चुनौतियों पर गहराई से विचार किया है। नेहरू-चीन युद्ध और बांग्लादेश युद्ध की घटनाएँ एक सशक्त तरीके से दिखाई गई हैं जहाँ इंदिरा जी ने असाधारण साहस और कूटनीतिक कौशल का परिचय दिया। उनके त्याग और लोकनायक जयप्रकाश नारायण से मिले सम्मान को फिल्म में प्रमुखता से दिखाया गया है। कहीं न कहीं ये सब इंदिरा गांधी की छवि को एक महानायिका की तरह स्थापित करने की कोशिश है।
एक नज़रिया बदलाव पर
हालांकि, फिल्म इंदिरा के जीवन के उन नकारात्मक पहलुओं पर कम ध्यान देती है जो विवादित और बहस का विषय रहे हैं। इस विपरीत नजरिए की वजह से ही इस फिल्म ने कई लोगों को निराश भी किया है। कंगना ने सिर्फ़ एक हिस्से की ही कहानी दिखाई है और दूसरा महत्वपूर्ण हिस्सा जिसकी चर्चा होनी ही चाहिए वह पूरी तरह से नज़रअंदाज़ है।
संजय गांधी का विवादित किरदार
"इमरजेंसी" में, संजय गांधी के उदंड व्यवहार और नसबंदी कार्यक्रम के अत्याचारों को भी प्रमुखता से दिखाया गया है। संजय गांधी को यहाँ इंदिरा गांधी के कई फैसलों के लिए ज़िम्मेदार दिखाया गया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इमरजेंसी पूरी तरह से संजय गांधी के कंधों पर डालना न्यायसंगत है? क्या ऐसा नहीं कि फिल्म ने इंदिरा जी को कमतर आंकने की कोशिश की है? कई आलोचकों का मानना है कि संजय गांधी पर ज़्यादा जोर देने के साथ ही फिल्म इंदिरा जी की कूटनीतिक क्षमताओं को भी कमतर करके आंका है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया: प्रशंसा या आलोचना?
यह बात कई विश्लेषकों के ज़ेहन में उभर रही है कि आख़िर कंगना की "इमरजेंसी" ने बीजेपी समर्थकों और विपक्षी दलों दोनों को असंतुष्ट ही क्यों रखा है? बीजेपी के समर्थक इससे निराश हैं क्योंकि इसमें इमरजेंसी की वास्तविक गंभीरता को दर्शाया नहीं गया। वहीँ कांग्रेसियों को फिल्म में इंदिरा गांधी के बचपन और निजी जीवन के निरुपण में हुई गलतियों का विरोध है। इसने सभी को चौंकाया है! यह कंगना के लिए एक कठिन राजनीतिक शतरंज का खेल है जिसका परिणाम अनिश्चित लगता है।
कांग्रेस और बीजेपी दोनों में ही संशय
फिल्म "इमरजेंसी" ने सभी राजनीतिक दलों को मुश्किल में डाल दिया है। एक तरह से यह राजनीतिक माहौल में एक बड़ी गड़बड़ी की तरह है। अगर आप इंदिरा गांधी के अनुयायी हैं तो आपको यह फिल्म पसंद आ सकती है लेकिन जिन लोगों को इंदिरा गांधी से दिक्कत है वो इससे निराश होंगे। क्या यह बीजेपी की छिपी हुई चाल है, कंगना का व्यक्तित्व या कुछ और? यह एक बहुत बड़ा सवाल है।
Take Away Points:
- "इमरजेंसी" फिल्म इंदिरा गांधी के जीवन पर केंद्रित है, लेकिन इसका राजनीतिक पहलू अभी भी चर्चा में बना हुआ है।
- फ़िल्म ने इंदिरा गांधी की कुछ तारीफ की है, लेकिन साथ ही संजय गांधी की भूमिका पर ज़ोर दिया गया है।
- फिल्म ने दोनों राजनीतिक दलों को निराश कर दिया है और एक राजनीतिक बोझ के रूप में उभरी है।
- कंगना के लिए इस राजनीतिक खेल का क्या नतीजा निकलेगा, यह अभी देखा जाना बाकी है।