कर्नाटक कांग्रेस ने मंगलवार को सत्ता में आने के बाद राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा घोषित आरक्षण कोटा खत्म करने का संकल्प लिया। मीडियाकर्मियों से बात करते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार ने कहा कि कर्नाटक में बीजेपी सरकार द्वारा किए गए आरक्षण पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी मुहर लगा दी है, लेकिन, जनता ने इसे खारिज कर दिया है और 40 दिनों के बाद कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है और नए आरक्षणों को खत्म कर देगी। उन्होंने कहा कि आरक्षण कानून, संविधान और समुदायों के हितों के खिलाफ है। शिवकुमार ने कहा, हम अल्पसंख्यकों, वोक्कालिगा, लिंगायत और ओबीसी के हितों की रक्षा करेंगे।
उन्होंने कहा, आरक्षण के मामले ने प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अन्य राज्यों द्वारा इस तरह के प्रयासों के खिलाफ फैसले दिए हैं। इसके बावजूद दो मंत्रियों ने लोगों को ठगने के लिए आरक्षण का कोटा बढ़ाने का फैसला किया।
शिवकुमार ने सवाल किया कि किस आधार पर सरकार ने आरक्षण में वृद्धि की घोषणा की है। क्या पिछड़ा वर्ग आयोग ने दिसंबर, 2022 में प्रस्तुत अपनी अंतरिम रिपोर्ट में आरक्षण में वृद्धि की सिफारिश की है? क्या अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण बढ़ाना संभव है?
आरक्षण और आंतरिक आरक्षण के लिए उन्हें उचित अध्ययन और शोध पर आधारित होना होगा और संविधान में संशोधन करना होगा। शिवकुमार ने कहा कि अगर इसे चुनावी हथकंडे के रूप में किया जाता है, तो यह संभव नहीं होगा।
उन्होंने बीजेपी से सवाल किया कि, क्या किसी वोक्कालिगा या लिंगायत स्वामी ने उन्हें आरक्षण का कोटा वापस लेने और उन्हें देने के लिए कहा है? क्या विपक्षी दल ने इसकी मांग की है? वोक्कालिगा और लिंगायत ने अपनी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण को क्रमश: 12 प्रतिशत और 15 प्रतिशत तक बढ़ाने की मांग की थी। उन्होंने मुसलमानों के आरक्षण को वापस लेने की मांग नहीं की। आरक्षण 56 प्रतिशत हो गया है और भाजपा सरकार सीमा बढ़ाकर दोनों समुदायों को आरक्षण दे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ²ढ़ता से अल्पसंख्यकों के साथ खड़ी है और हम चाहते हैं कि मुस्लिम आरक्षण बरकरार रहे।