Kolkata Loreto college: कलकत्ता यूनिवर्सिटी के लोरेटो कॉलेज के अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाई नहीं करने पर एडमिशन नहीं देने वाले फैसले से हड़कंप मच गया, जिसके बाद कॉलेज ने माफी मांगी. कॉलेज के इस फैसले के बाद राज्य के कई वर्ग के लोगों ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर की और प्रदर्शन शुरू हो गए, इस वजह से कॉलेज को अपने इस फैसले को वापस लेना पड़ा.
पश्चिम बंगाल में स्नातक में प्रवेश लेने के लिए प्रक्रिया शनिवार (1 जुलाई) को शुरू हुई, जिसमें कैथोलिक संस्था ने ऑनलाइन घोषणा की थी कि बंगाली और हिंदी माध्यम स्कूलों के आवेदकों का स्वागत नहीं है. 2023-24 अंडर ग्रेजुएट के लिए सिलेक्ट किए गए बच्चों के साथ एक नोट में लिखा हुआ था कि स्थानीय माध्यम स्कूलों के उम्मीदवारों को प्रवेश के लिए कंसीडर नहीं किया गया, क्योंकि संस्थान में सभी निर्देश, परीक्षाएं और किताबें अंग्रेजी में हैं.
कॉलेज ने निकाला यह फरमान
1912 में साउथ कोलकाता के पार्क स्ट्रीट क्षेत्र के पास स्थापित, कॉलेज की नीति में कहा गया कि लोरेटो कॉलेज में सभी लेक्चर अंग्रेजी में हैं, इसलिए छात्रों को अंग्रेजी आना बहुत आवश्यक है. छात्रों को अंग्रेजी में अच्छा ज्ञान होना चाहिए, वह अपने लिखित कार्य, मौखिक परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम हो. परीक्षाओं का उत्तर केवल अंग्रेजी में देना होगा. हमारी ओपन शेल्फ लाइब्रेरी में केवल अंग्रेजी टेस्ट बुक है. कॉलेज की लाइब्रेरी में बंगाली या हिंदी जैसी क्षेत्रीय भाषा की किताबें उपलब्ध नहीं है. लोरेटो कॉलेज में शिक्षा का माध्यम केवल अंग्रेजी है.
कॉलेज के इस फैसले के बाद से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. कॉलेज से जारी नोटिस की फोटो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल होने लगी और हडकंप मच गया. साथ ही कलकत्ता विश्वविद्यालय ने लोरेटो कॉलेज से जानकारी मांगी है कि ऐसा दिशा-निर्देश क्यों जारी किया गया.