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कोटा में छात्र आत्महत्या: एक और दर्दनाक घटना ने दहलाया

कोटा, राजस्थान का नाम जेईई की तैयारी करने वाले लाखों छात्रों के लिए जाना जाता है। लेकिन, इस शहर की एक और परेशान करने वाली सच्चाई है जो सामने आती रहती है – छात्र आत्महत्याएँ। एक और दिल दहला देने वाली घटना में, 16 वर्षीय विवेक कुमार ने कोटा में हॉस्टल की छठी मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जान दे दी। विवेक मध्य प्रदेश के अनूपपुर से कोटा आया था और जेईई की तैयारी कर रहा था। उसकी मौत ने एक बार फिर इस सवाल को उठाया है कि क्या कोटा वाकई में छात्रों के लिए एक सुरक्षित जगह है?

कोटा की छात्र आत्महत्याओं की चिंताजनक सच्चाई

यह घटना इस साल कोटा में हुई 18वीं छात्र आत्महत्या है। पिछले साल, 29 छात्रों ने आत्महत्या की थी। ये आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं और हमें यह सवाल करने पर मजबूर करते हैं कि क्या कोटा के कोचिंग संस्थान, प्रशासन और पुलिस बच्चों की मानसिक सेहत की ओर पर्याप्त ध्यान दे रहे हैं?

क्या उच्च दबाव वाली पढ़ाई, अत्यधिक प्रतिस्पर्धा, और अकेलेपन की भावना इस दुखद घटना का कारण बन रही है? क्या छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने वाले कार्यक्रमों की तत्काल आवश्यकता है?

एक परिवार का बिखरना: विवेक कुमार का जीवन

विवेक के पिता ने बताया कि विवेक पढ़ाई में अच्छा था और हमेशा सकारात्मक रहता था। उसकी अंतिम बातचीत में, उसने अपने पिता को बताया कि वह कोचिंग नहीं जाएगा और हॉस्टल में पढ़ाई करेगा। रात में हॉस्टल से उन्हें दुखद खबर मिली। उनके बेटे के न रहने से उनका पूरा जीवन ही उजाड़ हो गया।

यह घटना याद दिलाती है कि छात्रों के लिए यह कितना महत्वपूर्ण है कि उनकी परिवार, दोस्तों, और शिक्षकों के साथ सक्रिय संपर्क बने रहें। बच्चों को उनकी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक सुरक्षित जगह की आवश्यकता होती है। यह एक ऐसी जगह होनी चाहिए जहां वे बिना किसी भय के अपनी कमजोरियों या चुनौतियों के बारे में बात कर सकें।

आगे बढ़ने का रास्ता: समाधान और प्रोत्साहन

छात्र आत्महत्याओं पर रोक लगाने के लिए, कोचिंग संस्थानों, अभिभावकों, और सरकार को मिलकर काम करना होगा। छात्रों को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करना बहुत जरूरी है। स्कूलों और कोचिंग संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। साथ ही, शिक्षकों को भी बच्चों की मानसिक सेहत की देखभाल के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

अभिभावकों की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्हें अपने बच्चों से नियमित रूप से बात करनी चाहिए और उन्हें भावनात्मक रूप से सहारा देना चाहिए। उन्हें कोटा में अकेले रहने वाले छात्रों की अनदेखी करने की गलती बिल्कुल नहीं करनी चाहिए।

क्या है निष्कर्ष?

कोटा में छात्रों की आत्महत्याएं एक गंभीर मुद्दा हैं, जिस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें इस दुखद परिपाटी को तोड़ना होगा, इसके लिए शिक्षकों, अभिभावकों, संस्थानों और सरकार को संयुक्त रूप से प्रयास करने होंगे। बच्चों को एक ऐसी वातावरण में लाकर पढाना होगा जिसमें प्रेशर की जगह प्रोत्साहन हो, ताकि उनकी शिक्षा उनकी ज़िंदगी का सबसे अच्छा अनुभव बन सके।

Take Away Points

  • कोटा में छात्र आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है।
  • छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की अत्यंत आवश्यकता है।
  • कोचिंग संस्थानों, अभिभावकों और सरकार को मिलकर इस समस्या का समाधान ढूँढ़ना होगा।
  • बच्चों को प्यार, देखभाल, और मार्गदर्शन देने से उन्हें स्वस्थ रहने और सफल होने में मदद मिलेगी।