देश: साल २०२४ में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी उफान पर हैं। नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की कवायद में लगे हुए। कई लोगों का कहना है कि नीतीश प्रधानमंत्री पद की अभिलाषा के साथ यह कह रहे हैं। लेकिन नीतीश इन दावों को खारिज करते हुए कहते हैं- मेरी इच्छा पद की नहीं विपक्ष को एकजुट करने की और केंद्र में सत्ता परिवर्तन लाने की है।
विपक्ष एकता के सूत्रधार बनें नीतीश कुमार सभी दलों को एकसाथ लाना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस के कारण कई दल ऐसे भी हैं जो इस महागठबंधन पर मुहर लगाने से कतरा रहे हैं। जानकारों का यह भी कहना है कि ममता बनर्जी एवं अरविन्द केजरीवाल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ पचा कर एकजुट होंगे यह बेहद मुश्किल बात है।
कांग्रेस विपक्ष एकता में रोड़ा बन रही है इसका अंदाजा हम पटना में 23 जून को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक से लगा सकते हैं। बैठक में सभी बीजेपी विरोधी दलों को आमंत्रित किया गया। वह भी तब जब कांग्रेस साफ कर चुकी है कि वह तेलंगाना में बीआरएस, पंजाब-दिल्ली में आप और केरल में वाम दलों से किनारा करेगी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित न कर कांग्रेस ने इस आशय का साफ संदेश दे दिया था।
विपक्ष राजग के खिलाफ 474 सीटों पर इकलौता उम्मीदवार उतारने की है और कांग्रेस के हिस्से 244 सीटें आनी हैं। अब अगर विपक्ष एकता का फार्मूला चलता है और केंद्र में यूपीए की सरकार बनती है तो पीएम पद का उमीदवार कौन होगा यह अभी कोई नहीं जानता। हालांकि जानकारों का यह भी मानना है कि नीतीश की निगाह जीत के बाद की स्थिति पर है क्योंकि सारा माजरा जीत के बाद का ही है।