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अमित शाह का बड़ा ऐलान, लोकसभा चुनाव 2024 से पहले लागू करेंगे CAA

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mit Shah's big announcement, CAA will be implemented before Lok Sabha elections 2024
mit Shah's big announcement, CAA will be implemented before Lok Sabha elections 2024

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने CAA को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले देश में CAA का नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) पर अमित शाह ने कहा कि 2019 में कानून पारित हुआ था. इसका उद्देश्य केवल धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे पाकिस्तानी, अफगानिस्तानी और बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना है।” शाह ने कहा, ‘सीएए देश का कानून है, इसका नोटिफिकेशन निश्चित रूप से हो जाएगा. चुनाव से पहले ही सीएए को अमल में आना है इसमें किसी को कंफ्यूजन नहीं रखना है.

‘ गृह मंत्री ने कहा, मैं क्लियर करना चाहता हूं कि CAA किसी की भी नागरिकता छीनने का कानून नहीं है. यह नागरिकता देने का कानून है. उन्होंने कहा, ‘CAA के खिलाफ इस देश के अल्पसंख्यकों को विशेष रूप से हमारे मुस्लिम भाइयों को भड़काया जा रहा है.देश में किसी की भी नागरिकता CAA छीन ही नहीं सकता क्यों कि इसमें ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है.

अमित शाह ने कहा, “CAA केवल उन लोगों को नागरिकता देने के लिए है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक प्रताड़ना, उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आए हैं. यह किसी की भारतीय नागरिकता छीनने के लिए नहीं है.”गृह मंत्री ने कहा, बीजेपी को 370 सीटें और NDA को 400 से अधिक सीटें मिलेंगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार सरकार बनेगी.

लोकसभा चुनाव के नतीजों पर कोई सस्पेंस नहीं है और यहां तक कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को भी एहसास हो गया है कि उन्हें फिर से विपक्षी बेंच में बैठना होगा. नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता दी जाएगी.

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA)

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) के मुताबिक, 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, और पाकिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाइयों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा. उन्हें अब भारत की नागरिकता दी जाएगी. इस कानून में किसी भी भारतीय, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है. 
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को 11 दिसंबर, 2019 को भारत की संसद ने पारित किया था. यह 12 दिसंबर, 2019 को अधिसूचित किया गया और 10 जनवरी, 2020 को लागू हुआ था. इस कानून का पूरे देश में व्यापक विरोध हुआ था.नागरिकता अधिनियम, 1955 को इसके लागू होने के बाद से छह बार संशोधित किया गया है. संशोधन वर्ष 1986, 1992, 2003, 2005, 2015 और 2019 में किए गए थे.
विरोध का कारण:
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) का विरोध करने की मुख्य वजह यह रही कि इस संशोधन अधिनियम में मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं किया गया. आलोचकों का तर्क है कि ये प्रावधान भेदभावपूर्ण है, क्योंकि इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है. 

नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोधियों का दावा है कि जो दस्तावेज़ों प्रदान करने में असमर्थ होंगे, उनकी नागरिकता रद्द कर दी जाएगी. 

असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध का कारण:
  • राज्य में इस कानून को 1985 के असम समझौते से पीछे हटने के रूप में देखा जा रहा है.
  • समझौते के तहत सभी बांग्लादेशियों को यहां से जाना होगा, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम.
  • असम समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों को डर है कि इससे जनांकिकीय परिवर्तन होगा.
  • दूसरे देशों से आकर बसे हुए अल्पसंख्यक उनके संसाधनों पर कब्जा कर लेंगे. 
    दिल्ली, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, लखनऊ, इलाहाबाद में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की वजह यह है कि इसे मुस्लिमों के खिलाफ माना जा रहा है.

 

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