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मुजफ्फरपुर में 9 साल की बच्ची की जान बचाने वाली कहानी!

क्या आप जानते हैं कि एक 9 साल की बच्ची के पेट से 1.5 किलो बाल निकाले गए? जी हाँ, आपने सही सुना! बिहार के मुजफ्फरपुर में स्थित एसकेएमसीएच अस्पताल में डॉक्टरों ने एक अद्भुत ऑपरेशन करके न सिर्फ़ एक बच्ची की जान बचाई, बल्कि एक बेहद ही अनोखे मेडिकल केस को भी सफलतापूर्वक हल किया है। इस बच्ची के पेट में पिछले 7 सालों से बाल जमा हो रहे थे, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई थी।

बाल खाने का मनोरोग: ट्राइकोटिलोमेनिया

यह मामला बिहार के मुजफ्फरपुर की एक 9 साल की बच्ची का है, जिसको 'ट्राइकोटिलोमेनिया' नामक एक दुर्लभ मानसिक बीमारी थी। इस बीमारी में व्यक्ति को अपने बाल खाने की आदत हो जाती है, जिससे पेट में बालों का ढेर लग जाता है। बच्ची पिछले 7 सालों से लगातार बाल खा रही थी और उसे लगातार पेट दर्द और भूख न लगने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। बच्ची के परिवार वाले जब उसकी स्थिति को गंभीर होते देख उसे लेकर अस्पताल पहुंचे तो उसकी हालत काफी नाजुक थी। डॉक्टरों ने बच्ची का एक्स-रे और सीटी स्कैन किया, और रिपोर्ट देखकर सब हैरान रह गए, क्योंकि स्कैन में पेट में एक बड़ा बालों का ढेर दिखाई दे रहा था।

एक्स-रे और सीटी स्कैन ने किया खुलासा

एक्स-रे और सीटी स्कैन से पता चला कि बच्ची के पेट में बालों का एक बड़ा सा गुच्छा जमा हो गया था। बालों की यह गांठ इतनी बड़ी थी की उसने बच्ची के अंदरूनी अंगों पर दबाव डालना शुरू कर दिया था। बच्ची का इलाज करने वाली टीम के सदस्यों ने बताया की बच्ची पिछले 15 दिनों से खाना तक नहीं खा पा रही थी, क्योंकि बालों का यह ढेर भोजन नली को बंद कर देता था। बच्ची हर बार उल्टी कर देती थी, जिससे उसकी सेहत बिगड़ती जा रही थी।

सफल ऑपरेशन और बच्ची की जान बची

इसके बाद अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम ने बच्ची का आपरेशन करने का फैसला किया। पेडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ आशुतोष कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने करीब 2 घंटे लंबे जटिल आपरेशन के द्वारा बच्ची के पेट से करीब डेढ़ किलो बाल निकाले। आपरेशन बेहद सफल रहा और बच्ची अब खतरे से बाहर है। बच्ची के पिता ने अस्पताल और डॉक्टरों को धन्यवाद दिया और कहा कि वो अपनी बच्ची को एक स्वस्थ जीवन दे पाने में अस्पताल और मेडिकल स्टाफ के इस प्रयास के आभारी हैं।

ट्राइकोटिलोमेनिया का इलाज

अब बच्ची ठीक हो रही है और उसे नियमित रूप से चेकअप के लिए बुलाया जा रहा है। डॉक्टरों ने बच्ची के माता-पिता को बच्ची को मनोरोग विशेषज्ञ के पास भी ले जाने के लिए कहा है। ट्राइकोटिलोमेनिया का इलाज सिर्फ ऑपरेशन से नहीं होता है, बल्कि इसमें मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना भी ज़रूरी है।

जागरूकता की ज़रूरत

यह केस मनोरोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। कई बार, परिवार में ऐसे मामलों पर चुप्पी साध ली जाती है, या लोग मानसिक बीमारी को एक कमज़ोरी मानते हैं। लेकिन, ट्राइकोटिलोमेनिया और इसी तरह की अन्य मानसिक बीमारियों का इलाज संभव है। जल्द इलाज और समर्थन से पीड़ितों को सामान्य जीवन जीने में मदद मिल सकती है।

आगे के कदम

इस मामले से हम सबको यह सीखने को मिला है कि हमेशा अपने बच्चों और परिवार वालों की सेहत का ख्याल रखना बेहद ज़रूरी है, छोटी-सी लापरवाही भी कभी-कभी गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है। इस तरह की मनोरोग संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता फ़ैलाना भी बेहद ज़रूरी है, ताकि किसी अन्य बच्चे या व्यक्ति को ऐसे हालातों का सामना न करना पड़े। यदि आपके बच्चे में ऐसे कोई लक्षण दिखते हैं, तो बिना देर किए किसी मनोरोग विशेषज्ञ से परामर्श ज़रूर करें।

Take Away Points

  • ट्राइकोटिलोमेनिया एक गंभीर मनोरोग है जिसमें व्यक्ति अपने बाल खाता है।
  • इस बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरूक होना ज़रूरी है।
  • समय पर इलाज से बच्ची की जान बचाई जा सकती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें।